डी.ए.वी.H.K.K.M.पब्लिक स्कूल MAMDOT, (FEROZEPUR)
विषय –नैतिक शिक्षा | कक्षा
–IV
पाठ संख्या -1 (प्रार्थना }
प्रश्न-1
’सुखी बसे संसार सब’ इस गीत में किस
अभिलाषा को पूरी करने को कहा गया है ?
उत्तर – ’सुखी बसे संसार सब’ इस गीत में सबके दुःख दूर करने और सबके सुखी
रहने की
अभिलाषा
को पूरी करने को कहा गया है |
प्रश्न
-2 दूध पूत धन धान्य से कौन वंचित=अर्थात्
दूर न रहे ?
उत्तर- दूध पूत धन धान्य से हम में से कोई भी
बालक/आदमी वंचित अर्थात् दूर न रहे | सब
सुखी रहें |
प्रश्न-3
इस गीत में मन को किस चीज से कोसों दूर भागने की प्रार्थना की गई है ?
उत्तर – इस गीत में मन को राग-द्वेष जैसी बुरी
चीजों से कोसों दूर भागने की प्रार्थना की
गई है |
प्रश्न-4
हम किस चीज से बचने के लिए दयालु परमात्मा की दया चाहते हैं ?
उत्तर – हम सब बालक पाप से बचने के लिए दयालु परमात्मा की दया चाहते हैं
|
प्रश्न-5
हम सब भवसागर = अर्थात् संसार के झंझटों से पार कब हो सकते हैं ?
उत्तर- जब न्यायकारी परमात्मा हमारे सभी पापों
का नाश कर देंगे और हम पर अपनी कृपा
करेंगें
तो हम सब बालक भवसागर = अर्थात् संसार के झंझटों आदि से पार हो सकते हैं |
प्रश्न-6
भक्त भगवान् से किस आशा को हमेशा बनाए
रखना चाहता है ?
उत्तर- भक्त भगवान् से भगवान् की कृपा रूपी आशा
को हमेशा बनाए रखना चाहता है |
प्रश्न-7
भक्त करतार=अर्थात् भगवान् से अपने
दिल,मन,हृदय में कौनसे गुणों को बनाए
रखने की
प्रार्थना चाहता है ?
उत्तर- भक्त करतार से = अर्थात् भगवान् से अपने दिल,मन, और हृदय में दया,उदारता,सहनशीलता,
आदि जैसे गुणों को हमेशा बनाए रखने की
प्रार्थना करता रहता है |
प्रश्न-8
क्षमा शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर- क्षमा शब्द का अर्थ है = माफ़ कर देना | अर्थात् किसी के द्वारा की गई
गलती को भुला देना |
प्रश्न-9 वाक्य के आगे सही और गलत (
का निशान लगाएं ?
क.गलती करने के बाद क्षमा मांगने से विनम्रता
आती है | ( -----)
ख.गलती करने के बाद पच्छ्तावा होता है और आगे
के लिये सावधान हो जाते हैं | ( ----)
पाठ संख्या -2 आर्य
समाज
प्रश्न -1 आर्य समाज की स्थापना कब और कहाँ किसने की
थी ?
उत्तर -
किसने –आर्य समाज की
स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने की थी |
|
कब - स्वामी दयानन्द
सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना सन् 1875 ईसवी. में की थी |
|
कहाँ - स्वामी
दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना सबसे पहले बम्बई शहर में की थी
|
प्रश्न-2
आर्य समाज का वैधानिक मानना क्या है ?
उत्तर – आर्य समाज का वैधानिक मानना है कि –
1.आर्य समाज ईश्वर में विश्वास रखता है |
2. आर्य समाज वेदों को ज्ञान को ईश्वरीय ज्ञान
के रूप में स्वीकार करता है |
3. आर्य समाज जात-पात , छुआछूत , सतीप्रथा , बालविवाह ,जुआ
खेलना , शराब पीना ,
मांस खाना आदि जैसी कुरीतियों को/बुराईयों को
नहीं मानता है |
प्रश्न-3
आर्य समाज के अनुसार ईश्वर का क्या स्वरुप है ?
उत्तर- आर्य समाज के अनुसार ईश्वर= निराकार , सर्वशक्तिमान , दयालु , सत् –चित्-आनंद
, न्यायकारी, और सृष्टिकर्ता है | ऐसा स्वरुप आर्य समाज स्वीकार करता है |
प्रश्न
-4 आर्य समाज किन-किन बातों का विरोधी है
?
उत्तर- आर्य समाज मूर्तिपूजा , सतीप्रथा , जात-पात , छुआछूत ,
बालविवाह ,आदि बातों का विरोधी है |
प्रश्न-5
आर्य समाज की लोकप्रियता के कोई तीन आधार बताओ
?
उत्तर- आर्य समाज की लोकप्रियता के तीन आधार इस प्रकार है –
1.
आर्य समाज ने –
वेदों के ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया |
2.
आर्य समाज ने -निराकार
ईश्वर की उपासना समझाई | मूर्ति पूजा का खंडन किया |
3.
सबकी उन्नति में
अपनी उन्नति समझी | समाज का विकास किया |
4.
जन्मना जात-पात का
विरोध किया |
प्रश्न-1
सभी छात्र-छात्राएं आर्य समाज के इन नियमों को याद करके सुनायेंगें ?
उत्तर-
1.वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है | वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना–सुनाना
सब आर्यों का परम धर्म है |
|
2.सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में
सर्वदा उद्यत रहना चाहिए |
|
3. सब काम
धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य का विचार करके करने चाहिए
|
प्रश्न-2
वेद कितने हैं ? और इनके नाम भी लिखिए |
वेद चार हैं |
|
1.ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. सामवेद 4. अथर्ववेद
|
उत्तर-
प्रश्न-3
वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना –सुनाना सब आर्यों का परम धर्म क्यों बताया गया है ?
उत्तर – वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना –सुनाना सब
आर्यों का परम धर्म इसलिए बताया गया है
क्योंकि –
1. वेद का ज्ञान सारे संसार के
लोंगों के लिए है |
2. वेद किसी मनुष्य आदि ने
नहीं बनाए हैं अर्थात् वेद का ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान है |
3. इस संसार में जितनी भी सत्य
विद्याएँ हैं उनका मूल= अर्थात् प्रारंभ
भी परमात्मा से ही है |
इसलिए भी वेदों का पढ़ना-पढ़ाना परम धर्म आदि बताया गया है |
प्रश्न-4
किसी भी काम को करते समय हमें किस बात का
विचार करना चाहिए ?
उत्तर- किसी भी काम को करते समय हमें सत्य –असत्य का विचार करना चाहिए |
और सब काम धर्म के अनुसार = अर्थात् नियमानुसार करना चाहिए |
प्रश्न-5
संसार के उपकार के लिए शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक उन्नति क्यों जरुरी है ?
उत्तर- संसार के उपकार के लिए
शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक उन्नति जरुरी है क्योंकि- इन तीनों उन्नतियों को करने
से व्यक्ति का ,समाज का, सबका सर्वांगीण विकास होता है | सभी की उन्नति करना भी हम
सबका परम कर्त्तव्य होना चाहिए |
प्रश्न-6.
धर्म किसे कहते हैं ? सत्य किसे कहते
हैं ? दोनों का सम्बन्ध बताइए ?
उत्तर धर्म – धर्म शब्द का अर्थ कोई मत या रिलीजन नहीं है बल्कि – सत्य और असत्य को
विचार करके लोक हितकारी काम
करना ही धर्म है |
|
सत्य- जो भी सच्चे ज्ञान या बातें हैं उन्हें सही रूप में जानना और
मानना सत्य कहलाता है |
सत्य का पालन करना
ही तो धर्माचरण है |
|
पाठ संख्या – 4 ( गायत्री मन्त्र और उसका अर्थ )
गायत्री मन्त्र – ओ३म् भूर्भुवः स्वः | तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि | धियो यो नः प्रचोदयात् ||
गायत्री मन्त्र का शब्दार्थ -
भु: = जो प्राणों का
भी प्राण
|
धीमहि = धारण करें
|
भुवः = जो सब दु:खों से छुड़ाने हारा
|
धियो = बुद्धियों को
|
स्वः = स्वयं सु:ख स्वरुप
|
यो = जो
|
तत् = उस (परमात्मा को )
|
नः = हमारी (सन्मार्ग की ओर )
|
सवितुः= सारे संसार उत्पादक या रचयिता
|
प्रचोदयात् = प्रेरणा करे / प्रेरित करे |
|
वरेण्यं = अपनाने योग्य तेज को
|
-----------------------
|
भर्गो = सब दु:खों को भस्म करने हारा
|
-------------------------
|
देवस्य = कामना करने के योग्य
|
----------------------
|
गायत्री मन्त्र का
भावार्थ
हे रक्षक ! हे
सर्वाधार | हे दुःख विनाशक |हे सु:खदाता प्रभो | आप स्वयं प्रकाशमान तेज
स्वरुप देव हैं | हम आपके अपनाने योग्य
तेज को धारण करते हैं जिससे हमारी बुद्धियों को सत्प्रेरणा सदा मिलती रहे |
|
प्रश्न-3
गायत्री मन्त्र में प्रभु से क्या
प्रार्थना की गई है ?
उत्तर- गायत्री मन्त्र में प्रभु से सद् बुद्धि
देने की प्रार्थना की गई है
प्रश्न-4
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए
उत्तर -
ओ३म्=
|
यह परमेश्वर का उसका अपना निज नाम है
|
भू :=
|
जो प्राणों का भी प्राण
|
भुवः =
|
सब दु:खों से छुड़ाने हारा – अर्थात् परमात्मा
|
स्वः =
|
स्वयं सु:ख स्वरुप अर्थात्= परमात्मा
|
प्रश्न-5
गायत्री मन्त्र किस वेद में से लिया गया
है ?
उत्तर-
गायत्री मन्त्र चारों वेदों से लिया गया है | गायत्री मन्त्र को महामन्त्र भी कहते हैं |
पाठ – 5 ( ईश्वर कहाँ है )
प्रश्न 1. पुत्र
ने पिता से क्या प्रश्न पूछा ?
उत्तर -
पुत्र ने पिता से प्रश्न पूछा कि ईश्वर
कैसा है ? कहाँ रहता है ?
प्रश्न 2. पानी में नमक मिलाकर पिता ने पुत्र को क्या कहा
?
उत्तर -
पानी में नमक मिलाकर पिता ने पुत्र को कहा कि - जैसे पानी में नमक
होते
हुये भी दिखता नहीं है ठीक
उसी प्रकार ईश्वर होते
हुये भी हमें
नहीं दिखता
उसे केवल
हम अनुभव कर सकते हैं |
प्रश्न 3.
परमात्मा को किस आँख से देखा जा सकता है ?
उत्तर -
परमात्मा को अन्दर की आँख से या ज्ञान चक्षु से देखा जा
सकता है |
प्रश्न 4. दही
से घी निकालने के लिये हमें क्या करना पड़ता है ?
उत्तर -
दही से घी निकालने के लिये हमें पहले दही को मथना= अर्थात् बिलोना पड़ता है |
प्रश्न 5. तिलों
से तेल निकालने के लिये हमें क्या करना पड़ता है ?
उत्तर -
तिलों से तेल निकालने के लिये हमें तिलों को पीलना=अर्थात् पीसना पड़ता है |
प्रश्न 6. योग
साधना किस लिये की जाती है ?
उत्तर - परमात्मा को मन की आँखों से देखने के लिये और आत्मा को
परमात्मा से
जोडने के लिये योग साधना
की जाती है |
प्रश्न 7. इस
पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर -
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सदा अच्छा काम करने चाहिये क्योंकि –
ईश्वर हमें देख रहा है | ईश्वर सर्वज्ञ है |
पाठ संख्या -6
समर्पण ( कविता )
ईश्वर
तुम्ही दया करो , तुम बिन हमारा कौन है ?
दुर्बलता दीनता
हरो ,तुम बिन हमारा कौन है ?
माता तुम्हीं पिता
तुम्ही ,तुम ही हमारा आसरा
तुम बिन हमारा कौन
है ?
जग को बनाने वाले
तुम ,बिगड़ी बनाने वाले तुम
दू:खड़े मिटाने
वाले तुम ,बिगड़ी बनाने वाले तुम
तुम बिन हमारा कौन
है ?
तेरी दया के सामने ,कुछ भी नहीं हमें खबर
जाएँ तो जाएँ पर हम किधर
, तुम बिन हमारा कौन हैं
तेरा भजन , तू ही सजन , तेरी ही धुन , तेरी ही लगन
तेरी शरण ,केवल सखा , तुम बिन हमारा कौन है
प्रश्नोत्तर –
प्रश्न
-1 निम्नलिखित गीत की लाइनों को पूरा
कीजिए |
क. माता तुम्हीं पिता
हमारा कौन हैं
?
ख. जग को बनानेवाले
कौन
है ?
ग. तेरी दया के सामने
कौन है ?
घ. तेरा भजन
कौन है ?
ङ. तेरा ही ध्याते ध्यान
कौन है ?
प्रश्न
-1 ऋतु और ऋता के विचारों में क्या अन्तर
था ?
उत्तर- ऋतु और ऋता के विचारों में अन्तर
केवल नास्तिकता और आस्तिकता का था | ऋतु
नास्तिक प्रवृत्ति की और ऋता डी.ए.वी.कालेज में पढने के कारण आस्तिक प्रवृत्ति की
छात्रा थी |
प्रश्न-2
ऋतु और ऋता के विचारों में अन्तर क्यों था
?
उत्तर- ऋतु और ऋता के विचारों में अन्तर केवल
भिन्न –भिन्न विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के कारण से था |
विचारों , भावों के विपरीत होने की दशा में भी दोनों की मित्रता घनिष्ठ थी
|
प्रश्न
-3 ऋतु ईश्वर को क्यों नहीं मानती थी ?
उत्तर –कालेज में छात्रसंघ के चुनावों के दौरान साम्यवादी दलों के
प्रचार-प्रसार के कारण ऋतु नास्तिक बन गई थी | यही कारण था कि- ऋतू नास्तिक होने
के कारण ईश्वर, सृष्टि उत्पत्ति , आदि विषयों को नहीं मानती थी |
प्रश्न-4
ऋता ने ऋतु को समझाने के लिए किस चीज का सहारा लिया था ?
उत्तर-ऋता ने ऋतू को समझाने के लिए एक कहानी का
सहारा लिया | ऋता ने एक चित्र बनाकर दीवार पर टांग दिया बाद में जब ऋतू नें उसे
देखा तो उसने पूछा कि-ये चित्र तो बहुत सुन्दर है ? किसने बनाया है ? ऋता ने कहा इसे किसी ने भी नहीं बनाया ये तो
स्वयं बन गया है बस् यहाँ रखे कागजों में गर्मी पैदा हुई और ये चित्र बन गया बस्
फिर क्या था - यहीं से सृष्टि निर्माण पर चर्चा हुई , बहस आदि होने लगी और अपने
सटीक तर्कों से ऋता ने ऋतू को नास्तिक से आस्तिक बनने पर विवस कर दिया |
प्रश्न-5
किसी एक उदाहरण के द्वारा ईश्वर की सत्ता सिद्ध कीजिए ?
उत्तर – ईश्वर की सत्ता का सबसे बड़ा प्रमाण है –
सृष्टि उत्पत्ति | सूर्य, चाँद, तारे, नदियाँ,समुन्द्र, रात, दिन , दोपहर और ऋतुओं
आदि को बनाने वाला परमात्मा ही है अन्य
कोई दुसरा हो ही नहीं सकता |
प्रश्न
-6 किसी भी नास्तिक मित्र या व्यक्ति को
ईश्वर की सत्ता कैसे समझाई जा सकती है ?
उत्तर – किसी भी नास्तिक व्यक्ति को ईश्वर की
सत्ता सटीक तर्कों के द्वारा , अनुभव तथा
ज्ञान -विज्ञान , आदि की सहायता से भी समझाई जा सकती है
1.
प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए |
प्रश्न-1
“ जमाने के रंग में रंग जाने वाले “ और “
जमाने पर अपना रंग चढाने वाले “ महापुरुष कौन थे ?
उत्तर- “ जमाने के रंग में रंग जाने वाले “
और “ जमाने पर अपना रंग चढाने वाले “ महापुरुष स्वामी
दयानन्द जी थे |
प्रश्न
-2 स्वामी
दयानन्द के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर - स्वामी
दयानन्द के बचपन का नाम मूलशंकर
था |
प्रश्न -3 टंकारा क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर स्वामी दयानन्द जी के जन्मस्थान होने के कारण
टंकारा नामक स्थान (गुजरात में ) प्रसिद्ध है
|
प्रश्न-4
मूलशंकर मन्दिर में जाकर किस मंत्र
का जाप किया करते थे ?
उत्तर बालक मूलशंकर
मन्दिर में जाकर “ओ३म् नमः शिवाय” नामक मन्त्र का जाप किया करते थे |
प्रश्न-5 शिवरात्रि का व्रत रखते समय मूलशंकर की
उम्र क्या थी ?
उत्तर शिवरात्रि का व्रत रखते समय मूलशंकर की उम्र 11
वर्ष थी |
प्रश्न-6
पिता जी की तरह बालक मूलशंकर ने मंदिर में मूर्ति पर क्या अर्पित करके
शिवपूजन किया ?
उत्तर – पिता जी की तरह बालक मूलशंकर ने भी मन्दिर में फल,फूल
,मेवा , मिष्टान्न आदि अर्पित करके पूजा अर्चना की |
प्रश्न-7 मन्दिर में मूलशंकर जागते रहे या सो गये ?
क्यों ?
उत्तर- मन्दिर में मूलशंकर जागते रहे उन्हें डर
था कहीं व्रत भङ्ग न हो जाये
प्रश्न-8 चूहे की घटना से बालक
मूलशंकर के विचारों पर क्या प्रभाव
पड़ा ?
उत्तर- चूहे की घटना से बालक
मूलशंकर के विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ा | इनके जीवन एक नया अध्याय शुरू हुआ | चूहे
की घटना से मन में विचार आने लगे कि- क्या यही सच्चा शिव है ? क्या यही शिव संसार
को चलाते हैं ? आदि प्रश्न मन में पैदा होने लगे | यहीं से सच्चे शिव की खोज करनी
शुरू कर दी |
प्रश्न-9 बालक मूलशंकर अपनी बहन की
मृत्यु पर रो क्यों नहीं सके ?
उत्तर –बालक मूल शंकर के जीवन
की ये पहली घटना थी | अपनी बहन की मृत्यु
को देखकर यही सोचते रहे कि- मृत्यु क्या है ? जीवन –मरण क्या होता है ? आदि
प्रश्नों पर सोचते रहे और अपनी बहन की मृत्यु पर ठीक से रो भी न सके थे |
प्रश्न -10 अपने चाचा जी की मृत्यु के
पश्चात् बालक मूलशंकर ने क्या विचार किया ?
उत्तर –अपने चाचा
जी की मृत्यु पर बालक मूलशंकर ने विचार किया कि- ये मृत्यु आदि सब क्या हैं ? क्या
सभी को एक न एक दिन मरना ही होता है ?
क्या मै भी एकदिन मर जाऊँगा ? यहीं से
बालक मूलशंकर को वैराग्य हुआ और सच्चे शिव
की खोज और मोक्ष = मृत्यु क्या है ? की खोज में अपना गृह त्याग दिया |
प्रश्न -11 शिवमूर्ति पर सच्चा शिव न
होने की शंका ( DOUBT ) बालक मूलशंकर को
क्यों हुई ?
उत्तर- शिवमूर्ति पर सच्चा शिव न होने की शंका ( DOUBT
) बालक मूलशंकर को इसलिए हुई क्योंकि- शिव
की पिण्डी पर चढ़े हुए चूहे को वहाँ मलमूत्र करते देख उन्हें जरा भी अच्छा नहीं लगा
था | वेदों में ,शास्त्रों में बताए शिव के
अनुसार यह शिव तो नहीं हो सकता ? जो स्वयं अपनी ही रक्षा नहीं कर सकता वो
भला संसार की रक्षा क्कैसे कर सकता है ? सच्चा शिव तो कोई और ही है और यह खोज करके
ही रहूंगा |
प्रश्न-12 मन्दिर में शिवमूर्ति पर
क्या घटना घटी ?
उत्तर –शिवरात्रि
के पावन उत्सव के दौरान मन्दिर में पूजा-अर्चना हो जाने के बाद एक बिल में से चूहा
निकलकर शिवलिंग पर चढ़ा और चढ़ाए गए फल-मेवा आदि को खाने लगा और वहीं मलमूत्र आदि करते देखा तो बालक मूलशंकर
से रहा नहीं गया अपने पिता श्री कर्शन जी तिवारी से अनेंकों प्रश्नो को कर बैठा |
यही मूलशंकर के जीवन की विशेष घटना थी |
उचित शब्द चुनकर
रिक्त स्थान भरें
–
i. चूहे की घटना से मूलशंकर की
..................................
ही बदल गयी |
ii. मन्दिर में शिव मूर्ति पर .................................................. चढ़ गया
|
iii. बहन की मृत्यु पर मूलशंकर ............................... के बारे में सोचते रहे |
iv. मूलशंकर ही बाद में ...................................... के नाम
से प्रसिद्ध हुए |
v. स्वामी दयानन्द का जन्म सन् ................................................ में हुआ |
( मृत्यु
, 1824 , चूहा , स्वामी
दयानन्द , सोच
)
सही
या गलत का निशान लगायें –
क.
स्वामी दयानन्द का जन्म गुजरात में हुआ था | (
)
ख.
मूल शंकर के पिता का नाम दशरथ था | (
)
ग. मूल शंकर के पिता शिव भक्त थे | (
)
घ.बालक मूल शंकर मन्द
बुद्धि के थे | (
)
पाठ संख्या – 9 दयानन्द प्रशस्ति ,
प्रश्नोत्तर
-
प्रश्न
-1 स्वामी दयानन्द
जी के जन्म
से पहले कैसी रात होती थी / भारत देश की क्या दशा थी ?
उत्तर - स्वमी दयानन्द जी के जन्म से पहले अज्ञान रूपी अन्धकार की रातें होती थी |
प्रश्न-2
इस रात के अन्धेरे को दूर करने के लिये दयानन्द
ने क्या किया ?
उत्तर - रात के अन्धेरे को
दूर करने के लिये स्वामी दयानन्द जी ने ज्ञान की ज्योति
जलाई |
प्रश्न-3
पाखण्ड की मण्डी में हलचल
क्यों मच गयी ?
उत्तर - पाखण्ड की मण्डी में हलचल इसलिये मची क्योंकि स्वामी दयानन्द जी दुनियाँ के
लोंगों को
सच्चा रास्ता=अर्थात् वेद का रास्ता दिखा रहे थे | कुरीतियों
का ,पाखंडों का खंडन कर रहे थे |
प्रश्न
-4 स्वामी दयानन्द जी ने अपने गुरु की आज्ञा कैसे निभाई ?
उत्तर- स्वामी दयानन्द जी ने वेदों का प्रचार-प्रसार करके, अज्ञानता को दूर करके अपने गुरु की आज्ञा निभाई |
पाठ संख्या – 10 (बाल प्रतिज्ञा )
2 उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें –
क. स्वामी दयानन्द का काम पूरा करने के लिये हम सब बालक वीर सैनिक बनेंगे |
ख. हम सब वीर बालक देश
को आर्य = अर्थात् श्रेष्ठ बनाकर दिखायेंगे |
ग. दीक्षा का व्रत सारे संसार को आर्य बनाकर निभाया जायेगा |
घ.संसार की तापमाला को प्रेम
गंगा हरेगी |
ड. हम सब वीर बालक वेदों के गीत गाकर
देश को
गुँजायेंगे |
च.सारा संसार एक स्वर में कहेगा कि भारत देश ही हमारा विश्व गुरु
है |
(
वीर सैनिक , सारे संसार , आर्य बनाकर , प्रेम गंगा , भारत देश , गीत )
Kindly send class 3rd to 7th D.Sh solutions
ReplyDeleteSir it is very helpful
ReplyDeleteआपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय एवं हितकर है।
ReplyDeletePlz send chapter
ReplyDeleteGreat work. It helped me a lot .
ReplyDeleteTkanks :)
Sir isme pura kaha milega
ReplyDeletePura chaptera
नैतिक शिक्षा कक्षा 5 पाठ 11 से 20 तक के प्रश्नोत्तर नहीं मिल रहे हैं।
ReplyDeleteYes
DeleteMam path 15
ReplyDeleteHelpful
ReplyDeleteMam isme sare question answer nahi hai
ReplyDeleteVery helpful
ReplyDeleteCuudydyddy
DeletePlease send me CH 11 to 21 class 4 natik shiksha
DeletePlease send
ReplyDelete