D.A.V.PUBLIC SCHOOL MAMDOT,FEROZEPUR
कक्षा –अष्टमी / विषय
– नैतिक शिक्षा
पाठ -1 (ओ३म् ध्वज गीत )
प्रश्न -1 “ जयति
ओ३म् ध्वज व्योमविहारी ”
गीत किस झण्डे के फहराने पर बोला
जाता है ?
उत्तर- “ जयति
ओ३म् ध्वज व्योम विहारी “ गीत ओ३म् के झण्डे को फहराने पर बोला जाता है |
प्रश्न - 2 साम्य सुमन विकसाने वाला “
का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - “ साम्य सुमन विकसाने
वाला ” का तात्पर्य है
कि – समानता रुपी पुष्पों को विकसाने वाला
अर्थात् परमात्मा | परमात्मा से
तात्पर्य ओ३म् | परमात्मा की नजरों में सब
समान हैं |
“ साम्य सुमन विकसाने वाला विश्व विमोहक भवभय हारी........... ” |
प्रश्न-3 “ इसके ”शब्द का अर्थ यहाँ क्या है |
उत्तर “ इसके “ शब्द का अर्थ यहाँ ओ३म्
है |
” इसके नीचे बढे अभय मन.......” (पंक्तियाँ पूरी कीजिए ) |
प्रश्न -4 वेद ज्ञान के घर-घर में भर जाने से क्या लाभ होगा ?
उत्तर - वेद ज्ञान के घर-घर
में भर जाने से यह लाभ होगा कि – सारे संसार के घरों से अविद्या रुपी= अज्ञानता
का अन्धकार मिट जाएगा
और कल्याण करने वाली शान्ति फैलेगी | सबका कल्याण होगा |
“फैले वेदज्ञान घर-घर -------------------अविद्या की अंधियारी “ (पंक्तियाँ
पूरी कीजिए )
प्रश्न -5 आर्य जनों का अटल निश्चय
क्या होना चाहिए ?
उत्तर - आर्य जनों का अटल
निश्चय सारी पृथ्वी के लोगों को आर्य बनाना होना चाहिए |
आर्य= अर्थात् श्रेष्ठ या
उत्तम समाज का निर्माण करना |
“ आर्य जनों का ----------------- वसुधा सारी ” (पंक्तियाँ पूरी कीजिए )
पाठ संख्या-2 (ओ३म् की
महिमा )
प्रश्न -1 भगवान् का सर्वश्रेष्ठ नाम
क्या है ?
उत्तर- भगवान् का सर्वश्रेष्ठ
नाम ओ३म् है |
”है यही अनादी नाद निर्विकल्प निर्विवाद “ (पंक्तियाँ पूरी कीजिए )
प्रश्न-2 वाणी में पवित्रता किसके
जाप से आती है ?
उत्तर- वाणी में पवित्रता ओ३म् नाम के जाप से आती है |
प्रश्न-3 जगत का अनुपम आधार कौन है
?
उत्तर- जगत का अनुपम आधार ओ३म् है |
प्रश्न-4 मन मन्दिर की ज्योति का प्रकाश पुंज कौन है ?
उत्तर- मन मन्दिर की ज्योति का
प्रकाश पुंज ओ३म् है |
प्रश्न-5 ओ३म् नाम को प्राप्त कर
लेने पर मनुष्य की कैसी निष्ठा बन जाती है ?
उत्तर- ओ३म् नाम को प्राप्त कर
लेने पर मनुष्य की ऐसी निष्ठा बन जाती है कि- वह लाख
को छोड़ कर ओ३म् नाम के जाप में मगन हो जाता है |
प्रश्न -6 ओ३म् शब्द की
व्याख्या कीजिए
उत्तर- ओ३म् नाम सबसे बड़ा इससे बड़ा ना कोय |
जो इसका
सुमिरन करे शुद्ध आत्मा होय ||
ईश्वर नें सारी सृष्टि को बनाया है | वही इसका
पालन करता है और अन्त में समेट लेता है
| ओ३म् शब्द में तीन अक्षर है अ उ और म |
ये तीन अक्षर ही तो सृष्टि के आदि मध्य और अन्त
के द्योतक हैं | यही ओम् सबका प्राण है | सृष्टि का सबसे पहला नाद ओ३म् था
| मानव का यही आदि मध्य अन्त है |
यही परमेश्वर का उसका अपना निज नाम और
सर्वोत्तम नाम है |
प्रश्न -7 गुरु नानकदेव जी नें ओम् के विषय में क्या कहा है ?
उत्तर- श्री गुरू नानक देव नें ओम् के विषय में कहा है
कि- “ एक ओंकार सत् नाम कर्ता पुरख “ = अर्थात् ओम् और
ओंकार दोनों का तात्पर्य एक ही है |
प्रश्न-8 ओ३म् नाम का महत्व स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर- ओ३म् नाम सबसे बड़ा -----------आत्मा होय | (पंक्तियाँ पूरी लिखिए )
1.ओ३म् नाम के जाप से मनुष्य
धर्म अर्थ काम और मोक्ष का स्वामी बन जाता है |
2.वाणी में पवित्रता आती है ओम्
के जाप से मनुष्य की सभी कामनाएँ पूर्ण हो जाती है |
3.ओ3म् ही तो सारे जगत का आधार है
|
4.ओम् नाम के जाप से रसना रसीली हो जाती है |
5. ओम् नाम का जाप करने वाला मनुष्य जीवन में कभी भी निराश नहीं होता है |
निश्चित रूप से ओ३म् का मानसिक जाप हृदय में ज्योति प्रकट करता है | कहा भी गया है
–
“ जबहिं नाम ------------------------
पुरानी घास ” (पंक्तियाँ पूरी लिखिए ) |
पाठ संख्या -3 ( आत्म बोध
कविता )
प्रश्न-1 अनादि नाद कौन सा है जिसके बारे में विवाद नहीं
?
उत्तर- अनादि नाद ओम् है जिसके बारे में विवाद नहीं है |
प्रश्न-2 इस अनादि नाद को कौन नहीं
भूलते ? |
उत्तर- वीतराग ,योगी ,एवं
पूज्यनीय लोग नही भूलते |
प्रश्न-3 वेद को प्रमाण मानने वाले
किसका गान करते हैं ?
उत्तर- वेद को प्रमाण मानने वाले ओ३म् का गान करते हैं |
प्रश्न- 4 उस नाद का त्याग कौन करते हैं ?
उत्तर- उस नाद का त्याग पापी,रोगी, कमजोर व्यक्ति ,
एवं आलसी करतें हैं |
प्रश्न-5 मुक्ति पाने का साधन यहाँ क्या
बतलाया गया है ?
उत्तर- मुक्ति पाने का साधन
यहाँ ओ३म् नाम का जाप आदि करना , शंकर आदि पवित्र नामों का नित्य जाप करना बतलाया गया है | “शंकर आदि नित्य नाम जो ------“ (पंक्ति
पूरी लिखिए ) |
प्रश्न -6 ओ३म् का जप ध्यान आदि कौन
करतें हैं ?
उत्तर- ओ३म् का जप ध्यान आदि साधू,सन्यासी,
विरक्त-सुभक्त लोग नित्यप्रति करते है |
“ध्यान में धरें विरक्त भाव से -----------------पाप रोगी “ (पंक्तियाँ पूरी करके लिखिए ) |
ध्यान
देने योग्य: –इस पाठ के उत्तर लिखते समय कोटेशन अवश्य लिखें |
पाठ संख्या -4 ( गीता के दो श्लोक )
प्रश्न -1 गीता में कौन किसको उपदेश दे
रहा है ?
उत्तर - गीता में भगवान्
श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहें
है |
प्रश्न -2 भगवान् श्रीकृष्ण जी को अर्जुन नें युद्ध करनें से क्यों मना कर
दिया ?
उत्तर- अर्जुन नें भगवान् श्रीकृष्ण जी को युद्ध
करनें से इसलिए मना कर दिया क्योंकि युद्ध
के मैदान में अर्जुन के सामने सभी सगे सम्बन्धी खड़े थे जिन्हें देखकर मोह के
बन्धन में पडकर हताश एवं निराश हो गया था
|
प्रश्न -3 मनुष्य का अधिकार किसमें है
? और किसमें नहीं ?
उत्तर- मनुष्य का अधिकार तो
केवल कर्म करनें में है | और मनुष्य द्वारा
किए गए कर्म के फल की प्राप्ति में अधिकार तो बिलकुल भी नहीं | अतः हे ! मनुष्य तु केवल कर्म
करने का आधिकारी है अतः निष्काम भाव से अपना कर्म
किया कर | गीता में कहा भी गया है – “
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन “ |
प्रश्न-4 श्लोक में शरीर और आत्मा को कैसा बतलाया गया है ?
उत्तर- श्लोक में शरीर को नश्वर और आत्मा को नित्य एवं
शाश्वत बताया गया है | अर्थात् जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने फटे पुराने कपड़ों को
उतार या बदल लेता है ठीक उसी प्रकार यह आत्मा भी शरीर बदल लेता है | नया शरीर धारण
कर लेता है | गीता के एक श्लोक में कहा भी गया है कि-
“वासांसि जीर्णानि
यथा विहाय ---------------नवानी देहि” | (श्रीमद् भगवद्गीता )
प्रश्न-5 युद्ध के मैदान में एक क्षत्रिय के क्या-क्या कर्तव्य होते हैं ?
उत्तर- युद्ध के मैदान में एक
क्षत्रिय का कर्तव्य है कि- वह अपने सगे सम्बधियों से मोह आदि न करे बल्कि सच्चा
एवं वीर सपूत बनकर देश की रक्षा करे अर्थात् शत्रुओं का नाश करे|
फलेषु = फल में
|
वासांसि = वस्त्रों को
|
जीर्णानि = पुराने ( कपडे आदि )
|
नवानि = नए
|
गृह्णाति = धारण करना
|
संयाति=धारण करना
|
देही =
जीवात्मा
|
कदाचन = कभी भी
|
कर्मफलहेतुर्भूर्मा= काम के फल की प्राप्ति नहीं
|
कर्मण्येव =कर्म करने में ही केवल
|
प्रश्न-6 शब्दार्थ लिखिए
पाठ संख्या -5
( गायत्री जप का प्रभाव )
प्रश्न-1 गायत्री
मन्त्र अर्थ सहित लिखें ?
उत्तर- ओ३म् - भूर्भुवः स्वः | तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो न: प्रचोदयात् || वेद भगवान्
||
ओ३म् -यह
परमेश्वर का उसका अपना मुख्य निज नाम है |
भू: = प्राणों का भी प्राण |
|
धीमहि= धारण करें
|
भुवः= दु:खों से छुड़ाने हारा
|
धियो= बुद्धियों को
|
स्व:= स्वयं सु:ख स्वरुप और अपने उपासकों
को भी सु:ख की प्राप्ति करने हारा
|
यो=जो
|
तत् = उस ( ईश्वर को )
|
न := हमारी ओर
|
सवितुर = सकल जगत के उत्पादक,समग्र एश्वर्यो के दाता स्वामी परमात्मा
|
प्रचोदयात् = सन्मार्ग की ओर प्रेरणा करें .
|
वरेण्यं= अपनाने योग्य तेज को
|
|
भर्गो = सब क्लेशों के भस्म करने हारा ईश्वर
|
|
देवस्य= कामना करने योग्य
|
प्रश्न-3 गायत्री मन्त्र की महिमा
लिखिए ?
उत्तर- ओ३म् - भूर्भुवः स्वः | तत्
सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो न: प्रचोदयात्
|| वेद भगवान् ||
इस गायत्री मन्त्र को सावित्री
मन्त्र, गुरूमन्त्र वेदमाता मन्त्र ,महा मन्त्र आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है
| गायत्री मन्त्र की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि- “ समस्त दु:खों के अपार सागर से पार लगानें वाली गायत्री है “|
इसीलिए इसे पाप निवारनी दु:ख हारिणी और त्रिलोक तारिणी आदि भी कहते है
प्रश्न-4 सविता शक्ति द्वारा मानवीय पुरूषार्थ के विषय में लिखें ?
उत्तर- जिस प्रकार परमात्मा अपनी सविता शक्ति द्वारा सुप्त प्रकृति को रच
देता है ठीक इसी प्रकार परमात्मा को सविता
नाम से पुकारने वाले साधक का भी कर्तव्य हो जाता है कि-वह भी अपने आप को अज्ञान की
निंद्रा से दूर करे और सब मनुष्यों को ईश्वर भक्त ,वेद भक्त तथा जनता जनार्दन
बनाने का यत्न करे
प्रश्न-5 गायत्री मन्त्र के जप की विधि,समय एवं जाप के स्थान के बारे में लिखें ?
उत्तर-
गायत्री जाप की
विधि
|
गायत्री जाप का समय
|
गायत्री जाप का
स्थान
|
प्रातः एवं सायं शुद्ध पवित्र होकर सु:खासन या अन्य किसी आसन
पर बैठकर प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए |
|
गायत्री मन्त्र का जाप
प्रातःकाल एवं सायंकाल करना चाहिए
|
गायत्री मन्त्र का जाप करने
का स्थान साफ़,शुद्ध एवं पवित्र होना चाहिए |बाग़ बगीचा या नदी का किनारा आदि आदि
|
|
गायत्री का जप प्रातः एवं सायं काल करता है वह प्रभु का साक्षात्कार कर सकता है अतः हमें प्रभु की उपासना करनी
चाहिए | प्रभु से विद्या,बुद्धि ,यश ,बल ,कीर्ति की याचना करनी चाहिए |
प्रश्न-6 महात्मा गांधी के गायत्री के विषय में विचार लिखिए ?
उत्तर-6 महात्मा गांधी जी ने एक लेख में लिखा है कि- “ गायत्री मन्त्र का स्थिरचित्त एवं शांत हृदय से किया गया जाप
आपातकाल के संकटों से दूर रखनें का सामर्थ्य रखता है और आत्मोन्नति के लिए उपयोगी
है |” अतः हम सबको भी गायत्री जाप करना चाहिए |
प्रश्न-7 स्वामी विरजानन्द और महात्मा आनंदस्वामी को
प्राप्त हुए गायत्री जाप के फल का उल्लेख कीजिए
उत्तर-7 महर्षि दयानन्द के
गुरु स्वामी विरजानन्द जी को गायत्री के जाप से सिद्धि प्राप्त हुई थी और इतना ही
नहीं गायत्री जाप
से ही मनुष्य ब्रह्म तक का साक्षात्कार भी कर सकता है अतः हमें गायत्री की उपासना करनी चाहिए |
+ महात्मा आनंद स्वामी ने ---------आगे
ही बढ़ते गये | + अतः श्रध्दा और विश्वासपूर्वक ,एकाग्र मन से अर्थ
चिंतन सहित गायत्री मन्त्र का जाप किया
करें |
नोट -: इस प्रश्न के उत्तर में
3 पैराग्राफ है छात्र पुस्तक से देखकर
ध्यानपूर्वक उत्तर लिखें |
पाठ संख्या 6 (
संस्कॄत भाषा )
प्रश्न-1 संस्कृत साहित्य किस भाषा में लिखा गया है ?
उत्तर- हमारा प्राचीनतम साहित्य जिस भाषा में लिखा गया
है उसे संस्कृतभाषा
, देववाणी या सुर भारती के नाम से जाना जाता है ।
प्रश्न-2 संसार की समस्त परिष्कृत भाषाओँ में कौनसी भाषा परिष्कृत है ?
उत्तर- संसार भर की समस्त परिष्कृत भाषाओं में संस्कृत भाषा ही प्राचीनतम
है | संस्कृत लिखने और बोलने वालों नें संस्कृति एवं सभ्यता का निर्माण किया है |
भारत की अन्य अनेक भाषाएँ संस्कृत से ही निकली हैं |
प्रश्न-3 संस्कृत
का मौलिक अर्थ क्या है ?
उत्तर- संस्कृत भाषा का मौलिक
अर्थ = संस्कार की गई भाषा |संस्कृत भाषा का पहला प्रयोग वाल्मीकीय रामायण
में देखने को मिलता है | जब भाषा का सर्व साधारण में प्रयोग कम होने लगा तब पालि
एवं प्राकृत भाषाएँ बोलचाल की भाषाएँ बन गईं | तब
विद्वान् लोंगों नें प्राकृत भाषा से भेद दिख्लानें की दृष्टि से संस्कृत
नाम दे दिया |
प्रश्न-4 संस्कृत भाषा और भारतवासियों का माता और पुत्र का सम्बन्ध किस प्रकार
का है ?
उत्तर- संस्कृत और भारतवासियों का सम्बब्ध माता
–पुत्र का है | संस्कृत सब भाषाओं से प्राचीन है |अत एव संस्कृत सब भाषाओं की जननी
है |इसके सामान मृदुलता,मधुरता , व्यापकता और किसी
भाषा में नहीं है |अतः हम सबको संस्कृत का अध्ययन अवश्य करना चाहिए | अपने
अस्तित्व की रक्षा के लिए भी संस्कृत को पढना चाहिए |
प्रश्न-5 संस्कृत साहित्य के किन्ही
दो ग्रन्थ और लेखकों के नाम लिखिए ?
कालिदास लिखित
|
वेदव्यास लिखित
|
भर्तृहरि लिखित
|
कौटिल्य लिखित
|
मेघदूत
|
गीता एवं महाभारत
|
नीतिशास्त्र
|
अर्थशास्त्र
|
प्रश्न संख्या -6 (उत्तर सहित ) अर्थ शास्त्र के लेखक कौटिल्य जी हैं |
प्रश्न संख्या -7 गुरु गोबिंद सिंह जी ने संस्कृत के लिए क्या किया |
उत्तर- गुरु गोबिंद सिंह जी संस्कृत के बहुत बड़े भक्त
थे | इन्होनें अपने शिष्यों को संस्कृत पढने काशी भेजा था | इनके संस्कृत प्रेम के
कारण ही सिख रियासत में निःशुल्क पाठशालाएं चलती थीं |
प्रश्न संख्या -8 हमें संस्कृत भाषा का अध्ययन क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-संख्या - हमें संस्कृत भाषा का अध्ययन अवश्य करना चाहिए क्योंकि-
1.संस्कृत भाषा= नियमों में चलने के कारण सीखने में किसी दूसरी
भाषा की अपेक्षा अधिक सरल है . इसके जैसी =सरलता,
मधुरता,सरसता एवं भावों के आदानप्रदान की क्षमता अन्य किसी
भाषा में नहीं दिखाई देती |
3. वैदिक साहित्य = और धार्मिक ग्रन्थ आदि भी इसी भाषा में लिखे गए हैं |
4. संस्कृत लिखने= और बोलने वालों नें संस्कृति एवं सभ्यता का निर्माण किया है |
5. भारत की अन्य= अनेक भाषाएँ आदि भी संस्कृत से ही निकली हैं | अत: हम सभी को
संस्कृत अवश्य पढनी चाहिए |
प्रश्न संख्या -9 संस्कृत किनकी भाषा
है ?
उत्तर- संस्कृत केवल हिन्दुओं की भाषा है या हिन्दू
साहित्य है ऐसा कहना गलत है | संस्कृत मानव मात्र की भाषा है और संस्कृत को पढने
का मानव मात्र को अधिकार है | इस भाषा के समान मृदुलता मधुरता और व्यापकता किसी
भाषा में नहीं है | संस्कृत में ज्ञान-विज्ञान एवं अध्यात्म विद्या का विशेष
उल्लेख मिलता है |
प्रश्न-संख्या -10 क्या संस्कृत विश्व भाषा बन सकती है |
उत्तर- हाँ | संस्कृत विश्व भाषा बन सकती है | आज संसार
के विद्वान मानने लगे हैं कि- कम्प्युटर के लिए सबसे सरल और उपयुक्त भाषा
संस्कृत है | यदि ऐसा हो जाए तो आज भी संस्कृत
विश्वभाषा बन सकती है |
पाठ संख्या -7 ( राष्ट्र भाषा हिन्दी )
प्रश्न संख्या -1 राजर्षि टन्डन अंग्रेजी को 15 वर्ष की छूट दिये जाने के पक्ष
में नहीं थे |
उत्तर-1 उन दिनों कांग्रेस पर
हिन्दी के विद्वान् श्री राजर्षि पुरषोत्तम दास टंडन जी की पकड़ पंडित जवाहरलाल
नेहरूजी से अधिक थी | नेहरू जी 10 वर्ष तक अंग्रेजी बनी रहने का हठ करने लगे
किन्तु टन्डन जी ऐसा करने को बिलकुल राजी नहीं थे | ऐसे में सेठ गोबिन्द दास
एवं पंडित बाल कृष्ण शर्मा नवीन ने अनुनय –विनय करके , नेहरूजी के पक्ष में टन्डन जी को राजी कर लिया और
नेहरूजी द्वारा हिंदी को 15 वर्ष की छूट
दे दी गई
किन्तु हुआ वही जिसकी राजर्षि टंडन
जी को आशंका थी | ये 15 वर्ष पूरे होते
उससे पहले ही टन्डन जी स्वर्ग वासी हो गए और फिर से हिंदी की अवहेलना करके
अंग्रेजी को प्रचारित प्रसारित किया गया जो की हिन्दी के लिए पूर्णतया दुर्भाग्य
था | यही कारण है कि- जो स्थान आज हिन्दी को प्राप्त है वह बहुत चिन्ता जनक है |
प्रश्न संख्या -2 आज देश में हिन्दी को जो स्थान प्राप्त है ? समीक्षा कीजिए
उत्तर- किसी राष्ट्र के समस्त
देशवासियों में सच्चा प्रेम ,संगठन और एकता की भावना भरने के लिए एक राष्ट्र भाषा का होना आवश्यक है , इस बात से
कोई बुद्धिमान व्यक्ति इनकार नही कर सकता | हांलाकि आज कहने को तो
हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है किन्तु
उसे वह अधिकार नहीं मिल पा रहा है जिसकी आधिकारिणी है | वास्तव में हिन्दी भारतीयों की भावात्मक
अभिव्यक्ति का एकमात्र साधन है |इसके अभाव में भारतीयता की अभिव्यक्ति हो ही नही
सकती | “ हिन्दी भाषा भारत की आत्मा है “|
प्रश्न संख्या -3 गुरु गोबिन्द सिंह
जी ने हिन्दी के लिए क्या किया ?
उत्तर-3 संत सिपाही दशमेश गुरू
गोबिंद सिंह जी सारे देश की स्वतन्त्रता एवं अखंडता का स्वप्न संजोये हुए थे
| वे इसी निमित्त शिवाजी के पुत्र शम्भा
से मिलने दक्षिण भारत गए थे | गुरू जी ने खालसा पंथ में दीक्षित होने वाले
अनुयायियों को जो जयघोष प्रदान किया वह भी सारे देश के विचार से हिन्दी में ही था
और आज भी हिन्दी में ही बोला जाता है – “ वाहे गुरू जी का खालसा वाहे गुरू जी की फतेह “
| गुरू जी का दशम ग्रन्थ (जफरनामा ) छोड़कर हिंदी
में ही है |
प्रश्न संख्या -4 स्वामी दयानन्द जी
से हिन्दी अपनाने का आग्रह किसने किया ?
उत्तर- महर्षि स्वामी दयानन्द जी से हिंदी में बोलने का अनुरोध बंगाल की राजधानी
कलकत्ता में ब्रह्म समाज के नेता श्री केशब चन्द्र सेन ने किया था | स्वामी जी
गुजराती होते हुए भी उस समय तक संस्कृत में ही बोला करते थे | बाद में आग्रह को
स्वीकार करते हुए स्वामी जी ने राष्ट्रभाषा हिन्दी में बोलना शुरू कर दिया था |
प्रश्न संख्या -5 महात्मा गांधी ने बी.बी.सी.के अधिकारीयों को भारत के आजाद
होने पर सन्देश
देने से मना क्यों कर दिया ?
उत्तर- देश के आज़ाद होने पर बी.बी.सी.लन्दन के अधिकारी
महात्मा गांधी जी से ऐसा सन्देश लेने के
लिए पहुंचे जिसे वे रेडियो पर सुना सकें | उन दिनों बी.बी.सी. से हिन्दी में
प्रसारण नहीं होते थे | परिणाम यह हुआ कि- महात्मा गांधी जी नें कोई सन्देश नहीं
दिया | और आधिकारियों को यह कहकर वापस लौटा दिया कि- “
दुनिया को भूल जाना चाहिये कि- गान्धी अर्थात् भारत देश भी अंग्रेजी जानता है “ | गांधीजी कहा करते थे यदि मेरे हाथ में देश की
बागडोर होती तो आज ही विदेशी भाषा का दिया जाना बन्द करवा देता और सारे अध्यापकों
को स्वदेशी भाषाओं को अपनाने के लिए मजबूर कर देता |
पाठ संख्या -08 (पांच महायज्ञ )
प्रश्न -1.चार
प्रकार के कर्म कौन-कौन से हैं ? उनके नाम और स्वरुप भी बताएँ |
उत्तर-1 शास्त्रों में चार प्रकार के कर्म बताये गए हैं
|
1. नित्यकर्म = प्रतिदिन किये जाने वाले कर्म को नित्य कर्म कहा जाता है |
2.नैमितिक कर्म = किसी निमित्त या कारण से किये जाने वाले कर्म को नैमित्तिक कर्म कहा जाता है
| जैसे –होली, दिवाली ,उत्सव एवं
जन्म दिन आदि के अवसर पर किये जाने वाले कर्म
को नैमितिक कर्म कहा जाता है |
3. काम्यकर्म = किसी कामना या उद्देश्य की पूर्ति से
किये जाने वाले कर्म को काम्य कर्म कहा जाता है | जैसे पुत्रेष्टि वर्शेष्टि यज्ञ
आदि |
4.निषिद्ध कर्म = यह कर्म अशुभ कर्म की श्रेणी में आता है | हमें निन्दित कर्म नहीं करने चाहिए
जैसे – गाली देना, चोरी मक्कारी करना , देश के साथ धोखा करना , विश्वासघात एवं गौह्त्या जैसे काम नहीं करने चाहिए |
प्रश्न-2.पांच महायज्ञ कौन से हैं ? इनका सम्बन्ध किस प्रकार के कर्म से है ?
उत्तर –पांच महा यज्ञ निम्नलिखित हैं –
1.ब्रह्मयज्ञ 2.देवयज्ञ 3.पितृयज्ञ
4.अतिथि यज्ञ 5. बलिवैश्वदेवयज्ञ
|
वेद के अनुसार इन सबका सम्बन्ध हम सबके जीवन में
नित्यकर्म के रूप में है अर्थात् इन पांच
महायज्ञों को हमें प्रतिदिन करना चाहिए |
प्रश्न-3 ब्रह्म यज्ञ से अभिप्राय है ?
इस यज्ञ को कैसे किया जाता है ?
उत्तर- ब्रह्म यज्ञ का अर्थ है
– संध्या प्रार्थना | ब्रह्म से तात्पर्य यहाँ सृष्टि के रचयिता अर्थात् परमपिता परमात्मा से है | इस
यज्ञ के द्वारा हमें –
@ आत्मा -परमात्मा का चिन्तन करना चाहिए |
@ ध्यान मग्न होकर ईश्वर के ओ३म् नाम का जाप आदि करना चाहिए |
@ इस यज्ञ को प्रातःकाल सूर्योदय के समय
, और सायंकाल सूर्यास्त के समय करना चाहिए
|
इस यज्ञ के करने से बहुत लाभ
होता है |
प्रश्न- देव यज्ञ में अग्नि के कितने रूप हो जाते हैं ?
उत्तर- देव यज्ञ में अग्नि के
तीन रूप हो जाते हैं |
1. एक रूप तो वह राख है जो जली हुई अग्नि के
शान्त हो जाने के पश्चात् हवन कुण्ड में रह जाती है | 2.दूसरा रूप
- इसकी सुगंध और उन वस्तुओं के गुण जो हवंन कुण्ड में डाली
गईं | देव यज्ञ का यह रूप सूक्षम होकर सारे वायु मंडल में फ़ैल जाता है और
अग्नि ,जल,वायु,आकाश ,वनस्पति ,चंद्रमा, सूर्य ,पृथ्वी , नक्षत्र तक सभी देवताओँ
को शक्ति मिलती है | अपनी अपनी आवश्यकता के गुण वे ग्रहण कर लेते है और हजार गुना
,लाख गुना करके संसार को वापस कर देते हैं |
3. तीसरा रूप – आहुति का तीसरा रूप इससे भी सूक्ष्म
हो जाता है | यज्ञ का यह रूप यज्ञ करने वाले के हृदय में जाकर उसके सूक्ष्म
शरीर से लिपट जाता है जो ( सूक्ष्म शरीर ) आत्मा के साथ लिपटा हुआ है और यह आत्मा जब स्थूल शरीर को छोडती है
, तो सूक्ष्म शरीर भी आत्मा के साथ चला
जाता है और इस सूक्ष्म शरीर से लिपट कर यह आहुतियाँ श्रद्धा
और विश्वास बनकर आत्मा को सुंदर और सुख देने वाले लोकों
में ले जातीं हैं |
प्रश्न-5 देव यज्ञ पर्यावरण से किस प्रकार सम्बंधित है ?
उत्तर- निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि- देव यज्ञ
के करनें से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | वेद मन्त्रों के उचारण ,
अग्नि, और आहुतियों का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है|देव यज्ञ करने से वृष्टि ,वर्षा
तथा जल की शुद्धि होकर वर्षा होती है और
अन्न , फल आदि की वृद्धि होकर संसार को सुख और आरोग्य प्राप्त होता है |
प्रश्न-6 अभिवादनशील को किन चार वस्तुओं की प्राप्ति होती है ?
उत्तर- जो अभिवादनशील है और वृद्धों की नित्य सेवा
करता है , उसके आयु , विद्या , यश और बल ये चार
चीजें बढती है | महाभारत के यक्ष
-युधिष्ठर संवाद में युधिष्ठिर जी ने कहा
है कि-
“
वृद्धों की सेवा करने से मनुष्य आर्य बुद्धि
वाला होता है “ |
|| अभिवादनं शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः | चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ||
प्रश्न-7 पितृ यज्ञ किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर- तीसरा महायज्ञ पितृ यज्ञ है | यह भी नित्यकर्म
है | इसका अर्थ है माता-पिता , सास-ससुर , साधु-महात्मा , गुरुजनों एवं वृद्धजनों
की सेवा करना | इस सेवा से हमें उनका आशीर्वाद मिलता है और आशीर्वाद से सुख एवं
उन्नति की प्राप्ति होती है | मनुस्मृति में भी लिखा है कि- :
|| अभिवादनं शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः | चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्
||
प्रश्न-8 अतिथि यज्ञ और बलि वेश्वदेव यज्ञ की विधिओं का उल्लेख लिखें |
उत्तर- चौथा
महा यज्ञ कहा जाने वाला नित्यकर्म अतिथि यज्ञ है | इसका तात्पर्य है कि- कोई भी
व्यक्ति या अन्य साधू,सन्त,महत्मा ,विद्वान
बिना बुलाए , बिना सूचना दिए घर में आ जाए तो उस समय उसका स्वागत और सत्कार
करना चाहिए , उसे खाने-पीने को देना अतिथि
यज्ञ कहा जाता है | यह यज्ञ हमारी
संस्कृति का उज्ज्वलतम चिह्न है और आज भी देश के कई भागों में अतिथि यज्ञ की भावना
विद्यमान है |
’’अतिथि यज्ञ के
आदर्श –राजा रन्ति देव को समझा जाता है’’
बलिवैश्व देव यज्ञ :- अतिथि यज्ञ के पश्चात् पांचवां महा यज्ञ कहा
जाने वाला बलिवैश्व देव यज्ञ है | यह यज्ञ
भी नित्य कर्म के अंतर्गत आता है | इस यज्ञ में धरती पर रहनें वाले समस्त
प्राणियों के कल्याण के लिए प्रयत्न करना और प्रभु से प्रार्थना करना , स्वयं भोजन
करने से पूर्व यज्ञ की अग्नि में या रसोई
की अग्नि में नमकीन वस्तुओं को छोड़कर मीठा मिले हुए अन्न की उन सब प्राणियों के
लिए आहुति देना जो इस विशाल संसार में रहते हैं | चीटियों को चुग्गा पानी आदि देकर
सुखी बनाने का प्रयत्न इसी यज्ञ के अंतर्गत आता है | इस प्रकार ये पञ्च महायज्ञ है जो हम सबको प्रतिदिन करने
चाहिए |
पाठ- 9
(डी.ए.वी.गान)
प्रश्न-1 गीत के प्रथम पद्य में डीएवी
के लिए किन-किन विशेषताओं का प्रयोग किया
गया है ?
उत्तर- गीत के प्रथम पद्य में डीएवी के लिए अविरल, निर्मल, सलिल, सदय, और ज्ञानप्रदायिनी,
ज्योतिर्मय जैसी विशेषताओं का प्रयोग किया गया है ?
प्रश्न-2 गायक चारों दिशाओं में किस उद् घोष
की कामना करता है ?
उत्तर-2 गायक चारों दिशाओं में डी.ए.वी. रुपी जयघोष के उद्
घोष की कामना करता है |
प्रश्न-3 इस गीत में डी,ए,वी की
धारा को परम पुनीता क्यों कहा गया है ?
उत्तर-3 इस गीतमें डीएवी की
धारा को परमपुनीता इसलिए कहा गया है क्योंकि-
इस धारा को पवित्र वेदज्ञान से बनाया गया है |
“वेदप्रणीता परमपुनीता यह धारा अक्षय डीएवी
की जय जय जय “
प्रश्न-4 डीएवी के साथ दयानन्द जी और हंसराजजी का क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-4 डीएवी के साथ
दयानन्दजी का प्रेम की भक्ति का सम्बन्ध बताया गया है और हंसराज जी का त्याग की
शक्ति का सम्बन्ध बताया गया है |
“ दयानन्द से
प्रेमभक्ति ले, हंसराज से त्यागशक्ति ले |
धर्मभक्ति का राष्ट्रशक्ति का हो दिनमान उदय “|
प्रश्न-5 गायक कैसे दिनमान का उदय
चाहता है ?
उत्तर-5 गायक यहाँ पर डीएवी के रूप में एक प्रखर,
तेजस्वी, ओजस्वी एवं गतिमान, प्रकाशवान,
ज्ञानवान दिनमान = का उदय चाहता है | “धर्म एवं राष्ट्र की उन्नति रुपी सूर्योदय करना चाहता है ”
अर्थात् सबका विकास चाहता है, सबकी उन्नति चाहता है |
नोट:- दिनमान से
तात्पर्य यहाँ सूर्य से है |
प्रश्न-6 ( उत्तरसहित ) इस गीतिका को
सस्वर कंठस्थ करें अर्थात् याद कीजिए |
पाठ – 10 ( योग की पहली सीडी –यम )
प्रश्न-1 योग के आठों अंगों के नाम लिखो |
उत्तर-1 योग के आठ अंग इस प्रकार हैं –
1.यम 2. नियम
3. आसन 4. प्राणायाम 5. प्रत्याहार 6. धारणा
7. ध्यान 8. समाधि
|
प्रश्न-2 यम कितने है ? प्रत्येक का नाम लिखकर अर्थ बताएं |
उत्तर-2 यम पांच है – “अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह यमा:”|
1. अहिंसा= किसी प्राणी को मन वचन एवं कर्म से
दु:ख न देना अहिंसा है |
2.सत्य= सच्चाई का साथ देना, प्रिय एवं
हितकारी बोलना सत्य कहाता है | कहा भी गया है कि-
“सत्यं
ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् मा ब्रुयात्सत्यमप्रियं “
3. अस्तेय= चोरी आदि न करना, जो परिश्रम से नहीं कमाया, जो अपना धन नहीं है उसे प्राप्त
करने का प्रयास न करना आदि
अस्तेय कहलाता है |
4.ब्रह्मचर्य= परमात्मा में ध्यान लगाना , अपनी इन्द्रियों को वश में रखना , शारीरिक मानसिक
शक्तियों का बढ़ाना अथवा संचय
करना ब्रह्मचर्य कहलाता है |हमें ब्रह्मचर्य का पालन
करना चाहिए |
5. अपरिग्रह= आवश्यकता से अधिक धन को जमा न करना आदि अपरिग्रह कहलाता है | यह
दु:खदायी होता है इससे हमें
बचना चाहिए | इस प्रकार ये पांच यम हैं | इनका पालन
हम सबको अपने जीवन में करना
चाहिए |
प्रश्न-3 अहिंसा का सम्बन्ध मनोवृत्ति
से है , क्रिया से नहीं | उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें |
उत्तर-
अहिंसा का सम्बन्ध मनोवृत्ति से है | क्रिया से नहीं है | वास्तव में हिंसा का अर्थ केवल किसी को “मारना”
भर नहीं है अपितु हिंसा मन में आये विचारों से भी हो सकती है | इसे एक उदाहरण द्वारा भी समझा जा सकता है –एक कुशल डाक्टर अपने रोगी बचाने के
लिए आपरेशन करता है इस दौरान रोगी को भयंकर पीड़ा होती है तो क्या यह हिंसा है ?
नहीं | क्योंकि –यह सारा काम मन, वचन
,कर्म, एवं सात्विक वृत्ति से हो रहा होता है अतः यह हिंसा नहीं कही जा सकती | इसी प्रकार एक सैनिक युद्ध के
मैदान में देश की रक्षा के किये दुश्मन को मारता है तो क्या यह हिंसा है ? नहीं |
क्योंकि यह अपने कर्तव्य का पालन
कर रहा होता है |
प्रश्न-4 अस्तेय तथा अपरिग्रह का क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- स्तेय= चोरी को
कहते है और अस्तेय चोरी न करने को कहते हैं | संसार में बहुत प्रकार की चोरियां होती हैं | दूसरे की वस्तु को बिना
मूल्य दिए लेना ही चोरी नहीं अपितु घटिया
माल को बढ़िया बताकर बेचना और कम तोलना भी चोरी है | अपने काम को लगन से न
करना भी चोरी है | अन्याय
से किसी की संपत्ति ,राज्य,धन या अधिकार को छीन लेना भी चोरी है | मजदूरों को कम
मजदूरी देना , अनाज जमा करके मंहगा बेचना ,गरीबों का रक्त चूसना आदि भी चोरी के ही
रूप हैं |
ये व्यक्तिगत एवं सामाजिक दोनों ही तरह से हानिकारक है | और
अपरिग्रह= का अर्थ है गलत संग्रह न करना | वास्तव में यदि हम सब सु:ख और शान्ति चाहते हैं तो हमें आवश्यकताओं से अधिक
वस्तुओं का संग्रह नहीं करना चाहिए |
हमारी आवश्यकताएं जितनी बढेंगी उतनी ही समाज में अशांति फैलेगी | क्योंकि अनावश्यक
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उल्टा-सीधा कमाना पड़ेगा जो कि-पाप का कारण भी हो
सकता है, दूसरों के साथ कई बार
दुर्व्यवहार भी करना पड़ सकता है | अत: हमें अस्तेय और
अपरिग्रह का जीवन में ध्यान रखना
चाहिए | इससे जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान हो पायेगा और व्यक्तिगत एवं सामाजिक उन्नति भी हो पायेगी |
प्रश्न-5 ब्रहमचर्य का क्या महत्व है ?
उत्तर- आँख कान नाक
जिह्वा त्वचा मन बुद्धि आदि
इन्द्रियों पर नियंत्रण करना ब्रह्मचर्य कहलाता है | वास्तव में ब्रह्मचर्य का
पालन करने वाला व्यक्ति अपनी शारीरिक आत्मिक मानसिक उन्नति को प्राप्त करनें में
समर्थ होता है | ऐसा व्यक्ति समाज को अपनी सोच और व्यवहार के अनुकूल बना लेता है |
समाज में संयम बना रहता है | “ विद्यार्थी जीवन में
ब्रह्मचर्य का बहुत महत्त्व है क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन करने से शरीर सुन्दर और स्वस्थ बनता है | बुद्धि तीव्र
एवं प्रखर बनती है | आत्मा बलवान होती है | अत: ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए “|
MR. HARVINDER KUMAR
D.A.V. H.K.K.M.
PUBLIC SCHOOL MAMDOT
FWEROZEPUR
Very nice app it will help me to complete my work timeely
ReplyDeleteYes
DeleteNajsnsnnsnsnbdjsnsjdnxhjhsnsjsnhanns sjnnatesh nannayeshbnateshnshsnsjdnshsjjsnshshhsbshsbshsbshsjdhsjujwiwkanagshiejenxodmndhauajkekdmdbxuxjsmanhauajrnrnisjsnzjshnatwabbnateshn nsnsnsjsnjsns snsnnsjznz. ZkJjsnbs sndnndjdndnd
Delete🤨🤨🤨🤨🤨
DeleteHi im Samarth
DeleteTo kya🤣🤣
DeleteThanks 😊😊
DeleteThankss
ReplyDeleteAnsh or gaming dhruv you study in dav khabra
DeleteWho are you and why are you asking ansh for what's your name mail me at rajaditya042007@gmail.com
DeleteThank you to everyone who is really me i am not a all vase right
DeletePlz give me answer of chapter 11 to 15 plz plz
ReplyDeletePlz
DeletePlz give me too
DeleteJhingalala hu hu... Very good explanation of answers. I m too much satisfied with your answers.
DeleteGive me answer of chapter 11 to 15
ReplyDeleteGive me answer of chapter 11 to 20
DeleteThanku sir
DeleteSir please give answer of chapter11to15 also please sir
DeleteChapter 11 t0 19 required
ReplyDelete11-19 required
DeleteMila kya ?
DeletePlz
ReplyDeleteClass 8
ReplyDeleteChapter 11 to 20
Question answer
Yes chapter 11-19 required plz
DeleteI love this site i will learn all syllables for my paper for this sitee
ReplyDeleteYou're gonna learn the syllables? Its syllabus and you're not learning syllabuses(this isn't a word), you're learning chapters
DeleteI also love❤❤ this it is help in exam paper
DeleteI need 11to15 chapter
ReplyDeleteYa
DeleteFABULOUS,marvellous.i dont have words for thanking for ur help
ReplyDeleteTatti
ReplyDeleteKhale
DeleteFabulous marvellous I don't have words for thanking for ur helP
ReplyDeleteI need 11 to 15
ReplyDeletePlease sir DAV school ,naitik shiksha class 8, chapter 11 to 20 tak ke bhi solutions provide kar dijiye
ReplyDeleteThanku
I am waiting your response
Deleteboom
DeletePlease give me class 7 ch 1 to 10 solution
ReplyDeletenai
DeleteClass 8 Ch 10-20 solutions please
ReplyDeleteSir give class-8 med ch-11 TO 20 PLEASE SIR
ReplyDeletethis is very much helpful sir
ReplyDeleteThank you ma'am it is very helpful.
ReplyDeleteIt is very helpful
ReplyDeleteI want ch 11 to 15
ReplyDeleteI want ch 11 to 20
ReplyDeleteOjas
DeleteI love this app so much this helps to me to compete my all HOMEWORK.. and that's good also..... thank you sir/mam so much..
ReplyDeleteThank you......
DeleteHloji
ReplyDeleteexam niket aa ye hai pls 11 to 20 ka bhi questions anser bheja jai
DeleteThank you so much sir!! It helped me alot🥰🖤
ReplyDeleteThanks a lot
ReplyDeleteThankyou very much sir❤❤❤❤❤💙💜💚💛💚🤍🖤
ReplyDeleteChut
DeleteTeri maa ki
Deleteplease provide 11 to 20 chapters
ReplyDeleteyes sir please
DeleteThanks sir
ReplyDeleteQuestion and answer of med
ReplyDeleteSir please provide answers of chapter 11 to 20
ReplyDeleteclass-8th Naitik siksha my id is: sahuritu444@gmail.com
Land
ReplyDeleteHi
DeletePls provide book lessons of n.s. chapter 1to 10
ReplyDeleteIt will help me to cheat in exams 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂......this is last time of this boring ved path it's just a shit subject 😂😂😂😂😂
ReplyDeleteOnline exams
DeleteHahahahaha 😂😂😂😂
Haaaa
Delete😂😂😂
DeleteVery boring subject tooo much boring
DeleteLol hahahaha😂😂🤣🤣
DeleteAre you mad or something
DeleteThanks but please provide chapter 11-20 also
ReplyDeleteNo lalach
DeleteThankyou sir
ReplyDeleteIt's very important for us ....
ReplyDeleteTHANK YOU FOR CHAPTER 1 TO 10
ReplyDeleteBUT PLEASE SEND 11 TO 20
THANK YOU...........
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThank you sir
ReplyDeleteThank you
ReplyDeletePlease provide q/and of chapter 11 to 20
YkTjzjysulf,utHxykkhxtjKgzlyxkyzykdluoualKyskuxkyiskyzkyxkhdkhd vdjzjtsngzjhfzydmifluzykdukfuoxsykclysykaluxicluxkuxlusluluxuldluucljfipfidljluul
ReplyDeleteDAV class 8th Ch 12 व्रण व्यवास्था का स्वरूप please make answer of these chapter
ReplyDeleteIt helps me
ReplyDeletePlease provide ch 20
ReplyDeletePls ch 11to 20
ReplyDeleteKi bhi bana do
CH-11 to 19 Required.
ReplyDeleteLol. Not helpful at all! Where is ch-11 to 20
ReplyDeletePehle 1-10 to kerlo...
DeleteChup pagal
ReplyDeleteTeri maa ki chuup
DeletePlzz Class 8th ke 11 to 20 chapter bhi daaal do
ReplyDeleteHa Bhai
DeletePlz provide ch 11 to 20
ReplyDeletePlzz send me lesson-14
ReplyDeleteThank you so much sir
ReplyDeleteTatti
ReplyDeleteTu bhi tatti
DeleteTusi sare tatti
DeleteTeri mummy tatti BC Loora
DeletePlease provide Ch 11 to 20
ReplyDeleteAre jio bhai jio sb ans mil gya 😈😈
ReplyDeletePlease provide 11 to 20 chapters please 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteShri satyanarayan inter college shamli
ReplyDeleteKi book bhaje do
ReplyDeleteYess
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteHo
ReplyDeletePlease provide answer of chapter 11 to 20
ReplyDeleteI like it
ReplyDeleteoeqz2teozwgzegz92fso1esf2yscp2etsg3sy30sge2gs2fsefs2pgs2roysg03yoeqz2teozwgzegz92fso1esf2yscp2etsg3sy30sge2gs2fsefs 2yso3sf92e7se0sfw1spfwsfe10sfe0tsgo2sfesof2s96sfo2sf2s97wsp2fst2ps852fst28f68dg03sv7s5fd0t7ye78t1 erasers gatefold t3eu3tw6wr6wf2wy11fq
ReplyDeletewevst3fwziyv1xdovt2srxpvy2r20ryd31g01dt206d3 6t1fbx1yp3gpqy39t1308g62t061y0s396 d9y195130yf1xxixh1f0t83xy311s31x0f5x1305130b6fx130bf7xowf f2vt8f0e1,0c2sb0f51x39vf524 99d4 and I I am 2d0g7
DeleteTq So much 🥰but can uu provide answers from chp11-20 please🙏 this is a request to uu🙏
ReplyDeletePaper kal hai lekin chapters abhi tak update nahi hue baki ke
ReplyDeleteSir please provide chapter 11 to 20 please
ReplyDeleteYes sir please
DeleteSir please send me DAV public school class 8 science book chapter 1 and 2 questions solution plz plz send me sir
ReplyDeletecan you give the book photo on my email : arinbansal2009@gmail.com
ReplyDeleteplease please
ReplyDeleteNahi
DeleteCan i
DeleteWrong question answer
ReplyDeleteMc
ReplyDeleteMaa ko jakar bolo
DeleteApki Maa ko
DeleteNAHI SAID TIME
ReplyDeleteThanks for cheating
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteHlo
ReplyDeleteTf guys stop sending mean/hatred comments i think ur parents taught u
ReplyDeletethank you very very much
ReplyDeleteThank you mam /sir
ReplyDeleteMeri bohat help hui
Ok
DeleteThanku it's giving me lot of help in my studies
ReplyDeleteThanks for your so much help
ReplyDeleteUrosgDdgjadsdhhfkzfhksfhkzfhksfhkzfjfhkzfhkzfhkzfhkzfhkzfjkdgjkxgjkxfjkxfjkxgjkxgjkxjfkxhfkxfukxfziptsulrsursuorsulrzitditsultsulultuljlfzjl
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteBorring subject
ReplyDeleteYa
DeleteThank you so much mam /sir
ReplyDeleteNice it help me to exams 😊
ReplyDeleteSwad aa gaya
ReplyDeleteOppp
ReplyDeleteBhai thanku par 1to18 chapter dalta to hor maaza ana tha
ReplyDeleteThanx sir🥰
ReplyDeleteThanks sir for saving me in my exam
ReplyDeleteThanks a lot
ReplyDeleteThanks sir tomorrow is my day exam
ReplyDeleteHii iam darshil Sinha
ReplyDeletePlease follow my Instagram account
darshil_sinha_
siwan
ReplyDeleteSEO Services, Google Ads Services, SMO Services
ReplyDeleteThe most useless time wasting subject
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