Wednesday, 28 November 2018

Ved Path Class 5th 1 to 10 lessons



D.A.V. H.K.KM. PUBLIC SCHOOL,MAMDOT(FZR)
कक्षा: पांचवीं | विषय : नैतिक  शिक्षा
पाठ-1  ( याचना )
प्रश्न-1 – इस प्रार्थना में प्रभु से क्या देने और क्या दूर करनें की प्रार्थना की गई है ?

उत्तर- इस प्रार्थना में प्रभु से विद्या बुद्धि ज्ञान देने की , और अविद्या=अज्ञान, और दुर्गुण=बुराईयाँ  दूर करनें की  प्रार्थना की गई है ?
प्रश्न-2 प्रभु की शरण में जाकर हम क्या बन सकते हैं ?

उत्तर- प्रभु की शरण में जाकर हम  सदाचारी   धर्मरक्षक और वीरव्रती  बन सकते हैं |

प्रश्न-3 इस प्रार्थना में देश के लिए क्या मांग की गई है ?

उत्तर- इस प्रार्थना में देश के लिए देशसेवा ” करने की  मांग की गई है  |

प्रश्न-4 यहाँ किस सद्ज्ञान की मांग की गई है ?

उत्तर- यहाँ प्रभु को “ कभी न भूलने वाले  सद्ज्ञान ” की मांग की गई है |

प्रश्न- 4 (उत्तर सहित ) सभी बच्चे इस प्रार्थना को याद करेंगे और अपने गुरूजी को सुनायेंगे |
                        

                                    पाठ-2 ( गायत्री मन्त्र का महत्व )

प्रश्न-उत्तर -1   गायत्री मन्त्र और उसका अर्थ सुनाएँ ?

उत्तर- ओ३म् – भूर्भुवः स्वः | तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
                        
धियो यो नः  प्रचोदयात्  | वेद भगवान्  ||

अर्थ- हेरक्षक ! सर्वाधार सर्वव्यापक दु:ख विनाशक सु:ख दाता प्रभो | स्वयं प्रकाशमान आपके 

उस अपनाने योग्य तेज को हम धारण करें , जो हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की ओर प्रेरणा देता रहे | आपकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे |

प्रश्न-2  वेद ने इस मन्त्र को क्या-क्या प्रदान करने वाला बताया है ?
उत्तर-  वेद ने इस मन्त्र को  आयु   विद्या  यश   बल  और अपनें भक्तों को ब्रह्म ज्ञान
को देने वाला बताया है |

प्रश्न-3 मनुस्मृति का गायत्री मन्त्र के बारे में क्या मत है ?
उत्तर- मनुस्मृति का गायत्री मन्त्र के बारे में यह मत है कि = जो गायत्री मन्त्र का जाप करता है उसपर घी  दूध  की वर्षा होती है अर्थात्  उसे पौष्टिक  स्वादु  तथा  हितकर भोजन की प्राप्ति होती है | अतः हम सबको गायत्री जाप करना चाहिए |

प्रश्न-4 स्वामी विरजानन्द जी  किस मन्त्र का जाप किया करते थे ?
उत्तर- स्वामी विरजानन्द जी  गायत्री  मन्त्र  का  जाप  किया करते थे |

प्रश्न-5 महात्मा आनंद स्वामी  को गायत्री जाप का क्या लाभ हुआ ?
उत्तर- महात्मा आनंद स्वामी  को गायत्री जाप का यह लाभ हुआ कि – उनकी बुद्धि निखरने लगी , वे कक्षा में आगे रहने लगे ,  घर पर प्रशंसा पत्र पहुचनें लगे और उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें जैसे – दूध , जलेबी आदि खाने को मिलने लगी | वे जीवन में आगे ही आगे बढ़ते गए |

                                                पाठ-3  ( आर्यसमाज के नियम )
प्रश्न-1 (उत्तर सहित ) आर्य समाज के  इन नियमों को लिखें और याद करके सुनायें  |

प्रश्न-2 दूसरों के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर- यदि हम चाहते हैं कि-दुसरे लोग हमारे साथ प्रेम का , आदर का , ईमानदारी का व्यवहार करें तो हमें भी दूसरों के साथ प्रीतिपूर्वक , धर्मानुसार यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए |किन्तु यदि कोई दुष्ट अपनी दुष्टता से बाज न आवे तो उसे सही मार्ग पर लाने उपाय यही है कि- उसके साथ यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए |क्योंकि- जब समझाने से काम नहीं चलता तो डांटना पड़ता है |

प्रश्न-3 विद्या की वृद्धि के लिए अविद्या का नाश क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- विद्या की वृद्धि के लिए अविद्या का नाश इसलिए आवश्यक है क्योंकि –
 1. विद्या हमें मोक्ष तक ले जाती है |
2. विद्या सामाजिक उन्नति करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है |     
3. स्वार्थ और परमार्थ की दृष्टि से विद्या की वृद्धि करनी चाहिए | 
4. विद्या की वृद्धि करने से ही अविद्या का =अर्थात् अज्ञान का नाश होगा |
5. हम सबको अविद्या का / अज्ञानता का नाश करना चाहिए |

प्रश्न-4 सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझने का क्या भाव है ?
उत्तर- केवल अपनी ही उन्नति करना तो स्वार्थ कहलाता है | इसलिए अपनी उन्नति के साथ -साथ दूसरों की भी उन्नति करनें में आगे रहना चाहिए  | यही मनुष्य का धर्म है | आर्य समाज का यह नियम हमें सन्देश देता है कि- समाज के प्रति जो हमारा कर्तव्य है उसे करने में अपना सौभाग्य समझना चाहिए | अर्थात् सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए|

प्रश्न- 5 हम किस प्रकार  के नियम पालने में स्वतंत्र है ?
उत्तर- हम सबको सामाजिक सर्व हितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए अर्थात् समाज के नियमों को तोड़ना नहीं चाहिए अपितु ईमानदारी पूर्वक उनका पालन करना चाहिए | हमें भलाई के कार्यों को करना चाहिए | भले कार्य बहुत हैं | किन्तु यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि- समाज की भलाई के लिए हम कौन से कार्य करें , और कौनसे  काम न करें ,  इस बात का निर्णय करनें में हम सब स्वतन्त्र हैं |
                        
पाठ-4 ( मूलशंकर का गृह त्याग और गुरु दक्षिणा )
प्रश्न-1 मूलशंकर ने घर कब छोड़ा ?
उत्तर- बालक मूलशंकर ने अपने चाचा एवं बहन की मृत्यु के दृश्य को देखकर और  विवाह के बन्धन के भय से  22  वर्ष की उम्र में अपना  घर  छोड़ दिया था  |

प्रश्न-2 सिद्धपुर के मेले में पिताजी से पकडे जाते समय मूलशंकर का क्या नाम था ?

उत्तर- सिद्धपुर के मेले में पिताजी से पकडे जाते समय मूलशंकर का नाम शुद्ध चैतन्य था |

प्रश्न-3 शुद्ध चैतन्य को संन्यास की दीक्षा किसने दी ?

उत्तर- शुद्ध चैतन्य को संन्यास की दीक्षा स्वामी पूर्णानन्द जी ने दी | सन्यासी बन जाने पर  दयानन्द नाम ग्रहण किया |

प्रश्न-4 शुद्ध चैतन्य को सन्यासी बनने की आवश्यकता   क्यों महसूस हुई ?
उत्तर- शुद्ध चैतन्य को सन्यासी बनने की आवश्यकता  इसलिए महसूस हुई क्योकि- 1. आश्रम मर्यादा अनुसार पहले वे ब्रह्मचारी रहते हुए  भिक्षा नहीं मांग सकते थे | 2. स्वयं भोजन बनाना आवश्यक था किन्तु समय नष्ट हो जाता था |  3. अध्ययन आदि में बाधा पड़ती थी | यही सब कारण थे जिनकी वजह से संन्यास ग्रहण किया ,योग अभ्यास किया , और सच्चे शिव की खोज में अपना सारा जीवन लगा दिया |

प्रश्न-5 स्वामी जी  ने ‘हठयोग प्रदीपिका’ पुस्तक को गंगा में क्यों बहा दिया था  ?

उत्तर- स्वामी जी  ने ‘हठयोग प्रदीपिका’ पुस्तक को गंगामें इसलिए  बहा दिया था  क्योंकि- इस पुस्तकमें ‘ नाडी परीक्षण से सम्बंधित दिया गया ज्ञान अधूरा था/गलत था |




प्रश्न-6 स्वामी जी के अज्ञात तीन वर्षों के बारे में ऐतिहासिकों की नाई खोज क्या है ?
उत्तर- स्वामी जी के अज्ञात तीन वर्षों के बारे में ऐतिहासिकों की नाई खोज से पता चलता  है कि-
   स्वामी जी ने अपने जीवन के ये तीन वर्ष स्वतन्त्रता संग्राम में  सक्रिय भाग लेकर व्यतीत किये |

प्रश्न-7 कुटिया का द्वार खटखटाये जाने पर स्वामी  विरजानंद जी ने क्या प्रश्न किया?

उत्तर- कुटिया का द्वार खटखटाने पर स्वामी विरजानंदजी ने प्रश्न किया कि- तुम कौन हो ?

प्रश्न-8 स्वामी दयानन्द  जी ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर- स्वामी दयानन्द जी ने उत्तर दिया कि- मै यही तो जानने आया हूँ कि - मै हूँ कौन ?

प्रश्न-9 स्वामी दयानन्द जी गुरु दक्षिणा में क्या वस्तु लेकर गुरु जी के पास गए ?

उत्तर- स्वामी दयानन्द जी गुरु दक्षिणा में गुरु जी के पास एक सेर लौंग  लेकर  गए थे |

प्रश्न-10 दण्डी  स्वामी विरजानंद ने दयानन्द से गुरु दक्षिणा में क्या माँगा ?
उत्तर- दण्डी स्वामी विरजानन्द  ने अपने शिष्य दयानन्द से गुरु दक्षिणा में  सारा जीवन माँग लिया और कहा कि- दयानन्द ! जाओ इस देश का उद्धार करो | सोई हुई आर्य जाति को जगाओ | वैदिक धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करो | कुरीतियों का ,पाखंडों का, अन्ध विश्वासों का खण्डन करो | यह मेरा तुम्हें आदेश है और  शिष्य दयानन्द ने भी इस आदेश का जीवनभर पालन किया |

                                                पाठ -5  ( ऋषि महिमा )
प्रश्न-1 ऋषि महिमा गीतमें ऋषि की वाणीकी तासीर किस रूपमें प्रकट की गयी है ?

उत्तर- ऋषिमहिमा गीतमें ऋषिकी वाणी की तासीर ’ प्रखर एवं तेजस्वी वाणी ’ के रूपमें प्रकट की गई है |

प्रश्न-2 अपने लहू से लेखराम ने किसकी कहानी को लिखा ?

उत्तर-अपने लहू से लेखराम ने स्वामी दयानन्द जी की  कहानी को लिखा |

प्रश्न-3 हँस हँस कर तन , मन व धन किसने लुटाया ?

उत्तर- हँस हँस कर महात्मा हंसराज जी ने तन ,मन व धन लुटा दिया  |

प्रश्न-4 सत्यार्थ प्रकाश पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने हेतु सत्याग्रह करने के लिए ऋषि के
          दीवाने किस दिशा को चल पड़े थे ?
उत्तर-4 सत्यार्थ प्रकाश पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने हेतु सत्याग्रह करने के लिए ऋषि के
           दीवाने दक्षिण  दिशा की ओर  चल पड़े थे |

प्रश्न- 5 ऋषि दयानन्द जी  ने लाला लाजपत राय को क्या बना दिया ?

उत्तर- ऋषि दयानन्द ने लाला लाजपत राय जी  को “शेर-ए–बब्बर”  बना दिया |


                                                पाठ-6  (अच्छा बालक)
प्रश्न-1   बालक विश्वबंधु से सब प्यार क्यों करतें है ?
उत्तर- बालक विश्वबन्धु  से सब प्यार इसलिए  करते है क्योंकि- विश्वबन्धु एक अच्छा बालक है | वह सवेरे उठकर बड़ों को नमस्ते करता है | घर पर आये मेहमानों का यथायोग्य सत्कार करता है | विद्यालय का काम समय पर करता है |
प्रश्न-2 सवेरे उठने से लेकर विद्यालय जाने तक विश्वबंधु की दिनचर्या क्या है ?
उत्तर- बालक विश्वबन्धु की दिनचर्या इस प्रकार है -
वह सदा सवेरे जल्दी उठता है
विद्यालय की  प्रार्थना सभा में भाग लेता है
रात  सु:ख से बीती है इसके लिए और दिन अच्छा बीते इसके लिए प्रभु का धन्यवाद करता है |
शिक्षक द्वारा पढाये गए पाठ को
     ध्यान से     सुनता है  |
शौच आदि के बाद स्नान करता है
     व्यायाम आदि करता है |
अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता है
 नाश्ता करता है| पाठ दुहराता है

प्रश्न-3  विद्यालय में विश्वबंधु किस प्रकार रहता है ?
उत्तर- विद्यालय में विश्वबंधु इस  प्रकार रहता है – जैसे कि-
विद्यालय में विश्वबंधु  अच्छी प्रकार रहता है
अपनी पुस्तकों को सफाई से रखता है
वह पढनें में मन लगाता है |
साफ़ और सुन्दर लिखता है
शरारत नहीं करता है |
पूछे गए प्रश्न का विनम्रता से उत्तर देता है
अपने मित्रों से झगडा नहीं करता है
शिक्षक से प्रश्न भी पूछता है
प्रश्न-4 मेहमानों के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर- मेहमानों के साथ हमें मधुरता आत्मीयता और आदर का व्यवहार करना चाहिए |
प्रश्न-5 जल्दी सोने और जागने के क्या लाभ है ?
उत्तर- जल्दी सोने और जल्दी जागने के बहुत लाभ है जैसे कि -
1.जल्दी सोने और जल्दी जागने से मनुष्य स्वस्थ ,सम्पन्न ,और बुद्धिमान बनता है |
2. जल्दी जागने से मन स्वस्थ रहता है |
3. काम करने में मन लगता है | आदि  आदि |

पाठ संख्या -7  महात्मा सुकरात की सहनशीलता
प्रश्न -1 महात्मा सुकरात की पत्नी का स्वाभाव कैसा था ? 
उत्तर - महात्मा सुकरात की पत्नी क्रोध की साक्षात् मूर्ति थी  | वह हर समय पति से लड़ती रहती  थी | मीठा बोलना तो उसने सीखा ही नहीं था |

प्रश्न -2 महात्मा सुकरात की पत्नी सुकरात से झगड़ने के लिए कौन-कौन से बहाने खोजती थी
उत्तर - महात्मा सुकरात की पत्नी का क्रोधी और चिडचिडा स्वभाव था | वह हर समय पति से लड़ने के लिए नए-नए बहाने ढूंड लेती थी | वह हर समय पति से लड़ती रहती  थी | मीठा बोलना तो उसने सीखा ही नहीं था |

प्रश्न -3 अपशब्द सुनकर महात्मा चुप ही रहे तो उनकी पत्नी ने क्या किया ?
उत्तर - अपशब्द सुनकर  भी महात्मा चुप ही रहे तो उनकी पत्नी ने  उनकी चुप्पी से तंग आकर पागल हो गई और उनपर कीचड़ से भरी बाल्टी उलट दी |

प्रश्न -4 पत्नी द्वारा कीचड़ डाले जाने पर सुकरात ने क्या कहा ?
उत्तर-पत्नी द्वारा कीचड़ डाले जाने पर सुकरात ने  कहा कि- देवी ! आज तो पुरानी कहावत गलत हो गई | कहावत है कि- जो बादल गरजते है वो बरसते नहीं , किन्तु आज देखा कि- जो गरजते हैं वो बरसते भी हैं |

प्रश्न -5 सुकरात ने अपनी पत्नी की प्रशंसा किस प्रकार की ?
उत्तर – सुकरात ने अपनी पत्नी की प्रंशसा करते हुए कहा कि- मेरी पत्नी बहुत  योग्य है यह समय आने पर ठोकर लगा लगा कर देखती रहती है कि- सुकरात कच्चा घड़ा है या पक्का ?  इसके ठोकर मारने से मुझे भी आभास होता रहता है कि- मेरे में सहनशक्ति है भी या नहीं |

                                        पाठ-8   ( बड़े घर के गायक )
प्रश्न-1 तानसेन किसके दरबार के गायक थे ?
उत्तर- तानसेन मुग़ल शासक राजा  अकबर के दरबार के गायक थे |
प्रश्न-2 तानसेन के गुरु का नाम क्या था ?
उत्तर- तानसेन जी के गुरु का नाम स्वामी हरिदास था | ये महान गायक थे |
प्रश्न-3 तानसेन बादशाह को जंगल में क्यों ले गए ?
उत्तर- तानसेन बादशाह अकबर को जंगल में इसलिए ले गए क्योकिं वे अपने गुरु स्वामी हरिदासजी से मिलवाना और उनका  गाना सुनवाना  चाहते थे |
प्रश्न-4 स्वामी हरिदास से गाना सुनने के लिए तानसेन ने  क्या चाल चली ?
उत्तर- स्वामी हरिदास से गाना सुनने के लिए तानसेन ने यह चाल चली कि- पहले तो सितार ठीक बजाया बाद में गलत बजाया तभी स्वामी हरिदास जी बोल पड़े –गलत बजाते हो तानसेन ! लाओ सितार मै बजाके दिखाता हूँ | फिर जो बजा सितार कि- राजा तो मगन हुए बिना नहीं रह सके |
प्रश्न-5 स्वामी हरिदास का गाना सुनकर अकबर ने क्या कहा ?
उत्तर- स्वामी हरिदास का गाना सुनकर अकबर ने  कहा तानसेन ! तुम बहुत अच्छा गाते हो | भारत वर्ष के सबसे बड़े गायक हो तुम | फिर भी तुम्हारे गाने में वह बात नहीं जो बात स्वामी हरिदास जी के गानें में है |
प्रश्न- 6 अकबर के प्रश्न का तानसेन से क्या उत्तर था ?
उत्तर- अकबर के प्रश्न का तानसेन ने हाथ जोड़कर उत्तर दिया –शहंशाह ! मेरे में और स्वामीजी में बहुत अन्तर है | मै दिल्ली पति का गवैया दिल्ली पति के लिए गाता हूँ और स्वामी हरिदासजी जगतपति के गायक है उसके लिए गाते है जो करोड़ों दिल्लिपतियों के पति हैं | वे बड़े घर के ईश्वरीय गायक हैं | मै छोटा गायक हूँ |
प्रश्न-7  यमुना तटआकर भी क्या हम प्यासे जायेंगे ?  इन शब्दों का क्या अर्थ है ?
उत्तर- “ यमुना के तट  पर आकर भी क्या हम प्यासे जायेंगे ” इन शब्दों का अर्थ है  कि- मनचाही वस्तु को प्राप्त कर लेने पर भी  लालसा या तृष्णा उस प्रिय वस्तु के प्रति कम न होना  | अर्थात् मनभायी वस्तु का समय पर आनंद न उठा  पाना |

                                                  पाठ-9   ( गुण–गान )              
प्रश्न-1 मन मन्दिर में भक्ति  दीप जलानें का क्या अर्थ है ?
उत्तर- मन मन्दिर में भक्ति  दीप जलानें का  अर्थ है कि- मन में भगवान् के प्रति श्रद्धा पैदा करना | भगवान् का सच्चा भक्त बन कर रहना | परमात्मा की मन से उपासना करना या उसका गुणगान करना |

प्रश्न-2 सारी  ज़िन्दगी किस तरह बर्बाद हो  जाती है ?
उत्तर-सारी ज़िन्दगी रात सोते रहने में, और दिन पाप करने में बर्बाद हो जाती है |
सोने में तो रात गुजारी -----------------ईश्वर के गुण गाया कर (पंक्तियाँ पूरी कीजिए  )

प्रश्न-3 जीवन को बर्बादी से बचाने का यहाँ क्या उपाय  बताया गया है ?
उत्तर- जीवन को बर्बादी से बचाने का उपाय यहाँ = सुबह सवेरे जल्दी उठकर ईश्वर के गुणगान करना ,  स्वाध्याय करना , सेवा करना ,सत्संग करना आदि उपाय बताए  गए  है |

प्रश्न-4 फिर से नर तन पाने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए ?
उत्तर-  फिर से नर-तन पाने के लिए मनुष्य को सत्कर्म करने चाहिए , प्रभु की भक्ति करनी चाहिए , सेवा सत्संग आदि में भी जाना चाहिए |
नर तन के चोले का पाना कोई ------- ईश्वर के गुण गाया कर | ( पंक्तियाँ पूरी करें )

प्रश्न-5 मौज उड़ाने और खाना खाने से पहले किस बात का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर- मौज उड़ाने और खाना खाने से पहले ध्यान रखना चाहिए कि- कोई हमारे आस-पास या पड़ोसी भूखा-प्यासा तो नहीं है ? यदि कोई है तो क्या उसने खाना आदि खाया है या नहीं ?  देखकर / पता करके बाद में स्वयं भोजन आदि करना चाहिए |
पास तेरे है दु:खिया कोई -------------ईश्वर के गुण गाया कर |    ( पंक्तियाँ पूरी कीजिए  )

                                              पाठ-10  (अहिंसा)
प्रश्न-1 अहिंसा का अर्थ बताओ ?
उत्तर- अहिंसा का अर्थ है कि- किसी को मारने या सताने की इच्छा करना हिंसा कहलाती है और ऐसी इच्छा का ना होना अहिंसा है अर्थात् = किसी भी प्राणी को मन वचन एवं कर्म से दु:ख ना देना अहिंसा कहलाता है |

प्रश्न-2 अहिंसा के कितने रूप है ? और कौन-कौन  से है ?
उत्तर- अहिंसा के तीन रूप  होते हैं |
1.शारीरिक अहिंसा =का अर्थ है कि- किसी को मारने या सताने की  इच्छा न  करना |
2. मानसिक अहिंसा = - किसी का भी  मन से भी बुरा न चाहना मानसिक अहिंसा है  |
3. वाचिक  अहिंसा = किसी का वाणी से दिल न दु:खाना /कष्ट न पहुँचना वाचिक अहिंसा |

प्रश्न-3 वाचिक अहिंसा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- किसी का भी वाणी से दिल न दु:खाना /कष्ट न पहुँचना वाचिक अहिंसा है | हम सब को मनसा वाचा कर्मणा अहिंसा का पालन करना चाहिए | अहिंसा को एक प्रकार का धर्म भी माना गया है | कहा भी है – अहिंसा परमो धर्मः

प्रश्न-4 मानस अहिंसा किसे कहते है ?
उत्तर- किसी भी प्राणी के प्रति मन में बुरे विचार न लाना मानस अहिंसा है |

प्रश्न-5 ऋषियों के आश्रम में हिंसक प्राणी भी  पालतू से क्यों बन जाते है ?

उत्तर- ऋषियों के आश्रम में हिंसक प्राणी भी  पालतू से बन जाते हैं क्योकि –
वास्तव में यदि हमारे मन में किसी को सताने की भावना न होकर प्यार की 

भावना है तो दुसरे के ह्रदय में भी ऐसी ही भावना का संचार होता है | यही 

कारण है कि- ऋषियों के आश्रम में हिंसक प्राणी भी  पालतू से बन जाते हैं | 

कहा भी है – अहिंसा परमो धर्मः

MR.HARVINDER KUMAR

D.A.V.H.K.K.M.PUBLIC SCHOOL,MAMDOT

FEROZEPUR


13 comments:

  1. Thank you Sir
    You was very intelligent

    ReplyDelete
  2. These is such when I found this website 🙏🏽🙏🏽🥰😊😉

    ReplyDelete
  3. Sir please send all subjects work but this work is very good thanks for making

    ReplyDelete
    Replies
    1. Nonononono I am king of this world

      Delete
  4. First Thing's First I will say all the words inside my head,

    ReplyDelete
  5. Thanku for ihaven Complet any work of ch1

    ReplyDelete
  6. Thanks sir for this

    ReplyDelete
  7. Where r else chapters? Really regret😔

    ReplyDelete
  8. thank you sir
    you are very intelligent

    ReplyDelete