D.A.V. H.K.KM. PUBLIC
SCHOOL,MAMDOT(FZR)
कक्षा: पांचवीं | विषय : नैतिक शिक्षा
पाठ-1 ( याचना )
प्रश्न-1
– इस प्रार्थना में प्रभु से क्या देने और क्या दूर करनें की प्रार्थना की गई है ?
उत्तर- इस प्रार्थना में प्रभु से विद्या बुद्धि ज्ञान
देने की , और अविद्या=अज्ञान, और दुर्गुण=बुराईयाँ दूर करनें की
प्रार्थना की गई है ?
प्रश्न-2 प्रभु की शरण में जाकर हम क्या बन सकते हैं ?
उत्तर- प्रभु की शरण में जाकर हम सदाचारी धर्मरक्षक और वीरव्रती बन सकते हैं |
प्रश्न-3 इस प्रार्थना में देश के लिए क्या मांग की गई है ?
उत्तर- इस प्रार्थना में देश
के लिए “ देशसेवा ” करने की मांग की गई है |
प्रश्न-4 यहाँ किस सद्ज्ञान की मांग की गई है ?
उत्तर- यहाँ प्रभु को “ कभी न भूलने वाले सद्ज्ञान ” की मांग की गई है |
प्रश्न- 4 (उत्तर सहित ) सभी
बच्चे इस प्रार्थना को याद करेंगे और अपने गुरूजी को सुनायेंगे |
पाठ-2 ( गायत्री मन्त्र का महत्व )
प्रश्न-उत्तर -1 गायत्री मन्त्र और उसका अर्थ सुनाएँ ?
उत्तर- ओ३म् – भूर्भुवः
स्वः | तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो नः प्रचोदयात्
| वेद भगवान् ||
अर्थ- हेरक्षक ! सर्वाधार
सर्वव्यापक दु:ख विनाशक सु:ख दाता प्रभो | स्वयं प्रकाशमान आपके
उस अपनाने योग्य
तेज को हम धारण करें , जो हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की ओर प्रेरणा देता रहे |
आपकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे |
प्रश्न-2 वेद ने इस मन्त्र को क्या-क्या प्रदान करने वाला
बताया है ?
उत्तर- वेद ने इस मन्त्र को आयु विद्या यश बल और अपनें भक्तों को ब्रह्म ज्ञान
को देने वाला बताया है |
प्रश्न-3 मनुस्मृति का गायत्री मन्त्र
के बारे में क्या मत है ?
उत्तर- मनुस्मृति का
गायत्री मन्त्र के बारे में यह मत है कि = जो गायत्री मन्त्र का जाप करता है उसपर घी दूध की वर्षा होती है अर्थात् उसे पौष्टिक स्वादु तथा हितकर भोजन की प्राप्ति होती है | अतः हम सबको गायत्री
जाप करना चाहिए |
प्रश्न-4 स्वामी विरजानन्द जी किस मन्त्र का जाप किया करते थे ?
उत्तर- स्वामी
विरजानन्द जी गायत्री मन्त्र का जाप किया करते थे |
प्रश्न-5 महात्मा आनंद स्वामी को गायत्री जाप का क्या लाभ हुआ ?
उत्तर- महात्मा आनंद
स्वामी को गायत्री जाप का यह लाभ हुआ कि –
उनकी बुद्धि निखरने लगी , वे कक्षा में आगे रहने लगे , घर पर प्रशंसा पत्र पहुचनें लगे और उन्हें उनकी
पसंदीदा चीजें जैसे – दूध , जलेबी आदि खाने को मिलने लगी | वे जीवन में आगे ही आगे
बढ़ते गए |
पाठ-3 ( आर्यसमाज के
नियम )
प्रश्न-1 (उत्तर सहित ) आर्य समाज के इन नियमों को लिखें और याद करके
सुनायें |
प्रश्न-2 दूसरों के साथ हमें कैसा
व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर- यदि हम चाहते हैं
कि-दुसरे लोग हमारे साथ प्रेम का , आदर का , ईमानदारी का व्यवहार करें तो हमें भी
दूसरों के साथ प्रीतिपूर्वक , धर्मानुसार यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए |किन्तु यदि
कोई दुष्ट अपनी दुष्टता से बाज न आवे तो उसे सही मार्ग पर लाने उपाय यही है कि-
उसके साथ यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए |क्योंकि- जब समझाने से काम नहीं चलता तो
डांटना पड़ता है |
प्रश्न-3 विद्या की वृद्धि के लिए
अविद्या का नाश क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- विद्या की वृद्धि
के लिए अविद्या का नाश इसलिए आवश्यक है क्योंकि –
1. विद्या हमें मोक्ष तक ले जाती है |
2. विद्या सामाजिक उन्नति करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है |
3. स्वार्थ और परमार्थ की दृष्टि से विद्या की वृद्धि करनी चाहिए
|
4.
विद्या की वृद्धि करने से ही अविद्या
का =अर्थात् अज्ञान का नाश होगा |
5.
हम सबको अविद्या का / अज्ञानता का नाश
करना चाहिए |
प्रश्न-4 सबकी उन्नति में अपनी उन्नति
समझने का क्या भाव है ?
उत्तर- केवल अपनी ही
उन्नति करना तो स्वार्थ कहलाता है | इसलिए अपनी उन्नति के साथ -साथ दूसरों की भी
उन्नति करनें में आगे रहना चाहिए | यही
मनुष्य का धर्म है | आर्य समाज का यह नियम हमें सन्देश देता है कि- समाज के प्रति
जो हमारा कर्तव्य है उसे करने में अपना सौभाग्य समझना चाहिए | अर्थात् सबकी उन्नति
में अपनी उन्नति समझनी चाहिए|
प्रश्न- 5 हम किस प्रकार के नियम पालने में स्वतंत्र है ?
उत्तर- हम सबको सामाजिक
सर्व हितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए अर्थात् समाज के नियमों को तोड़ना
नहीं चाहिए अपितु ईमानदारी पूर्वक उनका पालन करना चाहिए | हमें भलाई के कार्यों को
करना चाहिए | भले कार्य बहुत हैं | किन्तु यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि- समाज की
भलाई के लिए हम कौन से कार्य करें , और कौनसे
काम न करें , इस बात का निर्णय
करनें में हम सब स्वतन्त्र हैं |
पाठ-4
( मूलशंकर का गृह त्याग और गुरु दक्षिणा )
प्रश्न-1 मूलशंकर ने घर कब छोड़ा ?
उत्तर- बालक मूलशंकर ने
अपने चाचा एवं बहन की मृत्यु के दृश्य को देखकर और विवाह के बन्धन के भय से 22
वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था
|
प्रश्न-2 सिद्धपुर के मेले में पिताजी
से पकडे जाते समय मूलशंकर का क्या नाम था ?
उत्तर- सिद्धपुर के मेले
में पिताजी से पकडे जाते समय मूलशंकर का नाम शुद्ध चैतन्य
था |
प्रश्न-3 शुद्ध चैतन्य को संन्यास की
दीक्षा किसने दी ?
उत्तर- शुद्ध चैतन्य
को संन्यास की दीक्षा स्वामी पूर्णानन्द जी ने दी |
सन्यासी बन जाने पर दयानन्द नाम ग्रहण
किया |
प्रश्न-4 शुद्ध चैतन्य को सन्यासी
बनने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?
उत्तर- शुद्ध चैतन्य को
सन्यासी बनने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई
क्योकि- 1. आश्रम मर्यादा अनुसार पहले वे
ब्रह्मचारी रहते हुए भिक्षा नहीं मांग
सकते थे | 2. स्वयं भोजन बनाना आवश्यक था किन्तु
समय नष्ट हो जाता था | 3. अध्ययन आदि में बाधा पड़ती थी | यही सब कारण थे जिनकी
वजह से संन्यास ग्रहण किया ,योग अभ्यास किया , और सच्चे शिव की खोज में अपना सारा जीवन
लगा दिया |
प्रश्न-5 स्वामी जी ने ‘हठयोग प्रदीपिका’ पुस्तक को गंगा में क्यों
बहा दिया था ?
उत्तर- स्वामी जी ने ‘हठयोग प्रदीपिका’
पुस्तक को गंगामें इसलिए बहा दिया
था क्योंकि- इस पुस्तकमें ‘ नाडी परीक्षण ‘
से सम्बंधित दिया गया ज्ञान अधूरा था/गलत था |
प्रश्न-6 स्वामी जी के अज्ञात तीन
वर्षों के बारे में ऐतिहासिकों की नाई खोज क्या है ?
उत्तर- स्वामी जी के
अज्ञात तीन वर्षों के बारे में ऐतिहासिकों की नाई खोज से पता चलता है कि-
स्वामी
जी ने अपने जीवन के ये तीन वर्ष स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेकर व्यतीत किये |
प्रश्न-7 कुटिया का द्वार खटखटाये जाने
पर स्वामी विरजानंद जी ने क्या प्रश्न
किया?
उत्तर- कुटिया का द्वार
खटखटाने पर स्वामी विरजानंदजी ने प्रश्न किया कि- तुम कौन हो ?
प्रश्न-8 स्वामी दयानन्द जी ने क्या उत्तर दिया ?
उत्तर- स्वामी दयानन्द जी
ने उत्तर दिया कि- मै यही तो जानने आया हूँ कि - मै हूँ कौन
?
प्रश्न-9 स्वामी दयानन्द जी गुरु
दक्षिणा में क्या वस्तु लेकर गुरु जी के पास गए ?
उत्तर- स्वामी दयानन्द जी
गुरु दक्षिणा में गुरु जी के पास एक सेर लौंग लेकर
गए थे |
प्रश्न-10 दण्डी स्वामी विरजानंद ने दयानन्द से गुरु दक्षिणा में
क्या माँगा ?
उत्तर- दण्डी स्वामी
विरजानन्द ने अपने शिष्य दयानन्द से गुरु
दक्षिणा में सारा जीवन माँग लिया और कहा
कि- दयानन्द !
जाओ इस देश का उद्धार करो | सोई हुई आर्य जाति को जगाओ | वैदिक धर्म एवं संस्कृति
का प्रचार-प्रसार करो | कुरीतियों का ,पाखंडों का, अन्ध विश्वासों का खण्डन करो |
यह मेरा तुम्हें आदेश है और शिष्य दयानन्द
ने भी इस आदेश का जीवनभर पालन किया |
पाठ -5 ( ऋषि महिमा
)
प्रश्न-1 ऋषि महिमा गीतमें ऋषि की
वाणीकी तासीर किस रूपमें प्रकट की गयी है ?
उत्तर- ऋषिमहिमा गीतमें
ऋषिकी वाणी की तासीर ’ प्रखर एवं तेजस्वी वाणी ’ के रूपमें प्रकट की गई है |
प्रश्न-2 अपने लहू से लेखराम ने किसकी
कहानी को लिखा ?
उत्तर-अपने लहू से लेखराम
ने स्वामी दयानन्द जी की कहानी को लिखा |
प्रश्न-3 हँस हँस कर तन , मन व धन
किसने लुटाया ?
उत्तर- हँस हँस कर महात्मा हंसराज जी ने तन ,मन व धन लुटा
दिया |
प्रश्न-4 सत्यार्थ प्रकाश पर लगे
प्रतिबन्ध को हटाने हेतु सत्याग्रह करने के लिए ऋषि के
दीवाने किस दिशा को चल पड़े थे ?
उत्तर-4 सत्यार्थ प्रकाश
पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने हेतु सत्याग्रह करने के लिए ऋषि के
दीवाने दक्षिण दिशा की ओर चल पड़े थे |
प्रश्न- 5 ऋषि दयानन्द जी ने लाला लाजपत राय को क्या बना दिया ?
उत्तर- ऋषि दयानन्द ने
लाला लाजपत राय जी को “शेर-ए–बब्बर” बना दिया |
पाठ-6 (अच्छा बालक)
प्रश्न-1 बालक विश्वबंधु से सब प्यार क्यों करतें है ?
उत्तर- बालक
विश्वबन्धु से सब प्यार इसलिए करते है क्योंकि- विश्वबन्धु एक अच्छा बालक है
| वह सवेरे उठकर बड़ों को नमस्ते करता है | घर पर आये मेहमानों का यथायोग्य सत्कार
करता है | विद्यालय का काम समय पर करता है |
प्रश्न-2 सवेरे उठने से लेकर विद्यालय
जाने तक विश्वबंधु की दिनचर्या क्या है ?
उत्तर- बालक विश्वबन्धु की
दिनचर्या इस प्रकार है -
• वह सदा सवेरे जल्दी उठता है
|
• विद्यालय की
प्रार्थना सभा में भाग लेता है
|
• रात सु:ख से
बीती है इसके लिए और दिन अच्छा बीते इसके लिए प्रभु का धन्यवाद करता है |
|
• शिक्षक द्वारा पढाये गए पाठ को
ध्यान से सुनता
है |
|
• शौच आदि के बाद स्नान करता है
व्यायाम आदि करता है |
|
• अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता है
|
• नाश्ता करता है|
पाठ दुहराता है
|
|
प्रश्न-3 विद्यालय में विश्वबंधु किस प्रकार रहता है ?
उत्तर-
विद्यालय में विश्वबंधु इस प्रकार रहता है
– जैसे कि-
•
विद्यालय में विश्वबंधु अच्छी प्रकार रहता है
|
•
अपनी पुस्तकों को सफाई से रखता है
|
•
वह पढनें में मन लगाता है |
|
•
साफ़ और सुन्दर लिखता है
|
•
शरारत नहीं करता है |
|
• पूछे
गए प्रश्न का विनम्रता से उत्तर देता है
|
•
अपने मित्रों से झगडा नहीं करता है
|
•
शिक्षक से प्रश्न भी पूछता है
|
प्रश्न-4 मेहमानों के साथ हमें कैसा
व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर- मेहमानों के साथ
हमें मधुरता आत्मीयता और आदर का व्यवहार करना चाहिए |
प्रश्न-5 जल्दी सोने और जागने के क्या
लाभ है ?
उत्तर- जल्दी सोने और
जल्दी जागने के बहुत लाभ है जैसे कि -
1.जल्दी सोने और जल्दी
जागने से मनुष्य स्वस्थ ,सम्पन्न ,और बुद्धिमान बनता है |
2. जल्दी जागने से मन
स्वस्थ रहता है |
3. काम करने में मन लगता
है | आदि आदि |
पाठ
संख्या -7 महात्मा सुकरात की सहनशीलता
प्रश्न -1 महात्मा सुकरात की पत्नी का
स्वाभाव कैसा था ?
उत्तर -
महात्मा सुकरात की पत्नी क्रोध की साक्षात् मूर्ति थी | वह हर समय पति से लड़ती रहती थी | मीठा बोलना तो उसने सीखा ही नहीं था |
प्रश्न -2 महात्मा सुकरात की पत्नी
सुकरात से झगड़ने के लिए कौन-कौन से बहाने खोजती थी
उत्तर -
महात्मा सुकरात की पत्नी का क्रोधी और चिडचिडा स्वभाव था | वह हर समय पति से लड़ने
के लिए नए-नए बहाने ढूंड लेती थी | वह हर समय पति से लड़ती रहती थी | मीठा बोलना तो उसने सीखा ही नहीं था |
प्रश्न -3 अपशब्द सुनकर महात्मा चुप
ही रहे तो उनकी पत्नी ने क्या किया ?
उत्तर -
अपशब्द सुनकर भी महात्मा चुप ही रहे तो
उनकी पत्नी ने उनकी चुप्पी से तंग आकर
पागल हो गई और उनपर कीचड़ से भरी बाल्टी उलट दी |
प्रश्न -4 पत्नी द्वारा कीचड़ डाले
जाने पर सुकरात ने क्या कहा ?
उत्तर-पत्नी
द्वारा कीचड़ डाले जाने पर सुकरात ने कहा
कि- देवी ! आज तो पुरानी कहावत गलत हो गई | कहावत है कि- जो बादल गरजते है वो
बरसते नहीं , किन्तु आज देखा कि- जो गरजते हैं वो बरसते भी हैं |
प्रश्न -5 सुकरात ने अपनी पत्नी की
प्रशंसा किस प्रकार की ?
उत्तर –
सुकरात ने अपनी पत्नी की प्रंशसा करते हुए कहा कि- मेरी पत्नी बहुत योग्य है यह समय आने पर ठोकर लगा लगा कर देखती
रहती है कि- सुकरात कच्चा घड़ा है या पक्का ?
इसके ठोकर मारने से मुझे भी आभास होता रहता है कि- मेरे में सहनशक्ति है भी
या नहीं |
पाठ-8 ( बड़े घर के गायक )
प्रश्न-1 तानसेन किसके दरबार के गायक
थे ?
उत्तर- तानसेन मुग़ल शासक
राजा अकबर के दरबार के गायक थे |
प्रश्न-2 तानसेन के गुरु का नाम क्या
था ?
उत्तर- तानसेन जी के गुरु
का नाम स्वामी हरिदास था | ये महान गायक थे |
प्रश्न-3 तानसेन बादशाह को जंगल में
क्यों ले गए ?
उत्तर- तानसेन बादशाह अकबर
को जंगल में इसलिए ले गए क्योकिं वे अपने गुरु स्वामी हरिदासजी से मिलवाना और
उनका गाना सुनवाना चाहते थे |
प्रश्न-4 स्वामी हरिदास से गाना सुनने
के लिए तानसेन ने क्या चाल चली ?
उत्तर- स्वामी हरिदास से
गाना सुनने के लिए तानसेन ने यह चाल चली कि- पहले तो सितार ठीक बजाया बाद में गलत
बजाया तभी स्वामी हरिदास जी बोल पड़े –गलत बजाते हो तानसेन ! लाओ सितार मै बजाके
दिखाता हूँ | फिर जो बजा सितार कि- राजा तो मगन हुए बिना नहीं रह सके |
प्रश्न-5 स्वामी हरिदास का गाना सुनकर
अकबर ने क्या कहा ?
उत्तर- स्वामी हरिदास का
गाना सुनकर अकबर ने कहा तानसेन ! तुम बहुत
अच्छा गाते हो | भारत वर्ष के सबसे बड़े गायक हो तुम | फिर भी तुम्हारे गाने में वह
बात नहीं जो बात स्वामी हरिदास जी के गानें में है |
प्रश्न- 6 अकबर के प्रश्न का तानसेन
से क्या उत्तर था ?
उत्तर- अकबर के प्रश्न का
तानसेन ने हाथ जोड़कर उत्तर दिया –शहंशाह ! मेरे में और स्वामीजी में बहुत अन्तर है
| मै दिल्ली पति का गवैया दिल्ली पति के लिए गाता हूँ और स्वामी हरिदासजी जगतपति
के गायक है उसके लिए गाते है जो करोड़ों दिल्लिपतियों के पति हैं | वे बड़े घर के
ईश्वरीय गायक हैं | मै छोटा गायक हूँ |
प्रश्न-7 यमुना तटआकर भी क्या हम प्यासे जायेंगे ? इन शब्दों का क्या अर्थ है ?
उत्तर- “ यमुना के तट पर आकर
भी क्या हम प्यासे जायेंगे ” इन शब्दों का अर्थ है कि- मनचाही वस्तु को प्राप्त कर लेने पर
भी लालसा या तृष्णा उस प्रिय वस्तु के
प्रति कम न होना | अर्थात् मनभायी वस्तु
का समय पर आनंद न उठा पाना |
पाठ-9 ( गुण–गान )
प्रश्न-1 मन मन्दिर में भक्ति दीप जलानें का क्या अर्थ है ?
उत्तर- मन मन्दिर में
भक्ति दीप जलानें का अर्थ है कि- मन में भगवान् के प्रति श्रद्धा
पैदा करना | भगवान् का सच्चा भक्त बन कर रहना | परमात्मा की मन से उपासना करना या
उसका गुणगान करना |
प्रश्न-2 सारी ज़िन्दगी किस तरह बर्बाद हो जाती है ?
उत्तर-सारी ज़िन्दगी रात
सोते रहने में, और दिन पाप करने में बर्बाद हो जाती है |
सोने
में तो रात गुजारी -----------------ईश्वर के गुण गाया कर (पंक्तियाँ पूरी कीजिए )
प्रश्न-3 जीवन को बर्बादी से बचाने का
यहाँ क्या उपाय बताया गया है ?
उत्तर- जीवन को बर्बादी से
बचाने का उपाय यहाँ = सुबह सवेरे जल्दी उठकर ईश्वर के गुणगान करना , स्वाध्याय करना , सेवा करना ,सत्संग करना आदि उपाय
बताए गए
है |
प्रश्न-4 फिर से नर तन पाने के लिए
मनुष्य को क्या करना चाहिए ?
उत्तर- फिर से नर-तन पाने के लिए मनुष्य को सत्कर्म
करने चाहिए , प्रभु की भक्ति करनी चाहिए , सेवा सत्संग आदि में भी जाना चाहिए |
नर
तन के चोले का पाना कोई ------- ईश्वर के गुण गाया कर | ( पंक्तियाँ पूरी करें )
प्रश्न-5 मौज उड़ाने और खाना खाने से
पहले किस बात का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर- मौज उड़ाने और खाना
खाने से पहले ध्यान रखना चाहिए कि- कोई हमारे आस-पास या पड़ोसी भूखा-प्यासा तो नहीं
है ? यदि कोई है तो क्या उसने खाना आदि खाया है या नहीं ? देखकर / पता करके बाद में स्वयं भोजन आदि करना
चाहिए |
पास
तेरे है दु:खिया कोई -------------ईश्वर के गुण गाया कर | ( पंक्तियाँ पूरी कीजिए )
पाठ-10 (अहिंसा)
प्रश्न-1
अहिंसा का अर्थ बताओ ?
उत्तर- अहिंसा का अर्थ है कि- किसी को मारने
या सताने की इच्छा करना हिंसा कहलाती है और ऐसी इच्छा का ना होना अहिंसा है
अर्थात् = किसी भी प्राणी को मन वचन एवं कर्म से दु:ख ना देना अहिंसा कहलाता है |
प्रश्न-2 अहिंसा के कितने रूप है ? और
कौन-कौन से है ?
उत्तर- अहिंसा के तीन रूप होते हैं |
1.शारीरिक
अहिंसा =का अर्थ है कि- किसी को मारने
या सताने की इच्छा न करना |
2.
मानसिक अहिंसा = - किसी का भी मन से भी बुरा न चाहना मानसिक अहिंसा है |
3.
वाचिक अहिंसा = किसी का वाणी से दिल न दु:खाना /कष्ट न पहुँचना वाचिक अहिंसा |
प्रश्न-3 वाचिक अहिंसा से क्या
अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी का भी वाणी से दिल न दु:खाना /कष्ट न
पहुँचना वाचिक अहिंसा है | हम सब को मनसा वाचा कर्मणा अहिंसा का पालन करना चाहिए |
अहिंसा को एक प्रकार का धर्म भी माना गया है | कहा भी है – अहिंसा परमो धर्मः
प्रश्न-4 मानस अहिंसा किसे कहते है ?
उत्तर- किसी भी प्राणी के
प्रति मन में बुरे विचार न लाना मानस अहिंसा है |
प्रश्न-5 ऋषियों के आश्रम में हिंसक
प्राणी भी पालतू से क्यों बन जाते है ?
उत्तर- ऋषियों के आश्रम
में हिंसक प्राणी भी पालतू से बन जाते हैं
क्योकि –
वास्तव में यदि हमारे मन में किसी को सताने की भावना न होकर प्यार की
भावना है तो दुसरे के ह्रदय में भी ऐसी ही भावना का संचार होता है | यही
कारण है
कि- ऋषियों के आश्रम में हिंसक प्राणी भी
पालतू से बन जाते हैं |
कहा भी है – अहिंसा
परमो धर्मः
MR.HARVINDER
KUMAR
D.A.V.H.K.K.M.PUBLIC
SCHOOL,MAMDOT
FEROZEPUR
Thank you Sir
ReplyDeleteYou was very intelligent
These is such when I found this website 🙏🏽🙏🏽🥰😊😉
ReplyDeleteSir please send all subjects work but this work is very good thanks for making
ReplyDeleteNonononono I am king of this world
DeleteFirst Thing's First I will say all the words inside my head,
ReplyDeleteVivo
ReplyDeleteThank u sir
ReplyDeleteThanku for ihaven Complet any work of ch1
ReplyDeleteThank you sir 😊😊
ReplyDeleteThanks sir for this
ReplyDeleteWhere r else chapters? Really regret😔
ReplyDeleteThank you sir
ReplyDeletethank you sir
ReplyDeleteyou are very intelligent