Thursday, 22 November 2018

CLASS 7TH NATIK SIKSHA 11 TO 15 LESSONS



     D.A.V.H.K.K.M.PUBLIC SCHOOL MAMDOT(FEROZEPUR)
कक्षा - सातवीं | विषय - नैतिक शिक्षा
पाठ-11    ( स्वामी श्रद्धानन्द  )
प्रश्न-1 मुंशीराम ने स्वामी दयानन्द के पहले-पहल दर्शन कहाँ किये ?
उत्तर-1 महात्मा मुंशीराम ने स्वामी दयानन्द के पहले-पहल दर्शन बरेली शहर में
किये थे | आजकल यह शहर उत्तर प्रदेश के एक जिले के रूप में जाना जाता है |
प्रश्न-2 वकालत के साथ मुंशीराम आर्यसमाज के किन किन कामों में लगे रहते थे ?
उत्तर-2 वकालत के साथ साथ मुंशीराम आर्य समाज के द्वारा संचालित  समाज सुधार के   कामों में लगे रहते थे | जैसे कि- शुद्धि प्रचार , विधवा उद्धार ,वेदों के प्रचार-प्रसार में , प्राचीन वैदिक शिक्षा के उद्धार में लगे रहते थे |
प्रश्न-3 महात्मा मुंशीराम गुरुकुल कांगड़ी के कितने वर्षों तक अधिष्ठाता रहे थे ?
उत्तर-3 महात्मा मुंशीराम गुरुकुल कांगड़ी के 17 वर्षों तक अधिष्ठाता रहे थे |ये स्वामी दयानन्द जी के पक्के शिष्यों में से एक थे | जीवन भर वैदिक शिक्षा प्रणाली के उत्थान में लगे रहे थे  |
प्रश्न-4 महात्मा मुंशीराम की हिन्दी भक्ति उनके किन कार्यों से प्रकट होती है ?
उत्तर-4 महात्मा मुंशीराम की हिन्दीभक्ति उनके निम्नलिखित कार्यों से प्रकट होती हैमहात्मा मुंशीराम जी हिन्दी के भक्त थे | वे एक साप्ताहिक पत्र सद्धर्मप्रचारक उर्दू में निकालते थे जिसे बाद में हिन्दी में बदल दिया और आगे भी घाटा सहकर चलाते  रहे | श्रद्धा एवं अर्जुन नामक दैनिक पत्र निकाले | विज्ञान की कई पुस्तकों को हिन्दी में प्रकाशित कराया |
प्रश्न-5 स्वामी श्रद्धानन्द  ने कांग्रेस से सम्बन्ध क्यों तोडा ?
उत्तर-5 स्वामी श्रद्धानन्द  ने कांग्रेस से सम्बन्ध इसलिए तोडा क्योंकि वे कांग्रेस  द्वारा चलाई गई मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति से सहमत नहीं थे| जब मुसलमानों को तबलीग का (धर्म परिवर्तन ) अधिकार है तो हिन्दुओं को क्यों नहीं ? इस बात पर स्वामी जी कांग्रेस से अलग हो गए |

                                             पाठ-12    ( महात्मा हंसराज )
प्रश्न-1 महात्मा हंसराजजी के जन्म मृत्यु होने के स्थानों का नाम बताओ ?
उत्तर-1 महात्मा हंसराजजी का जन्म = 19 अप्रैल  1864 को पंजाब प्रान्त के होशियारपुर के निकट बजबाड़ा गाँव में हुआ |
महात्मा हंसराज जी की मृत्यु = 14 नवम्बर 1938 को लाहौर में हुई | इनकी माता का नाम गणेशी देवी था | पिता का नाम लाला चुन्नीलाल था जो गाँव के संपन्न व्यक्ति तथा विनम्रता और सादगी की मूर्ति थे |   
प्रश्न-2 महात्मा हंसराज जी के भाई का क्या नाम था उन्होंने उनकी किस प्रकार सहायता की ?
उत्तर-2 महात्मा हंसराज जी के बड़े भाई का नाम लाला मुल्खराज  था | ला. मुल्खराज जी नें 40 रूपये मासिक देकर आजीवन  महात्मा हंसराज जी की सहायता की | इस समय इन्हें 80 रूपये मासिक मिलते थे | आगे चलकर महात्मा जी  नें  भी  डी..वी. की निष्काम भाव से सेवा की |
प्रश्न-3 महात्मा हंसराजजी ने कितने वर्षों तक डी. . वी. संस्था का आचार्य पद  संभाला ?
उत्तर-3 महात्मा हंसराज जी ने 25 वर्षों तक डी. . वी. संस्था का आचार्यपद  संभाला |
प्रश्न-4 महात्मा हंसराज जी के सहपाठियों में से किन्ही दो के नाम बताइए
         जो बाद में प्रसिद्ध  व्यक्ति बने ?
उत्तर-4 महात्मा हंसराज जी के सहपाठियों में - 1.पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी  तथा
2. लाला लाजपत रायजी का नाम लिया जा सकता है जो बाद में प्रसिद्ध व्यक्ति बने |     जिन्होंने देश एवं मानव जाति के उत्थान के लिए काम किया | आर्य समाज के कार्यों में आजीवन लगे रहे |
प्रश्न-5 महात्मा जी के बड़े बेटे बलराज को क्यों गिरफ्तार किया गया था ?
 उत्तर-5 महात्मा हंसराज जी के बड़े बेटे बलराज को स्वतन्त्रता संग्राम में  राजद्रोह के अपराध में  गिरफ्तार किया गया था |

                                                पाठ -13 ( स्वामी दर्शना नन्द )
प्रश्न-1 स्वामी दर्शना नन्द जी के बचपन का क्या नाम था ?
उत्तर-1 स्वामी दर्शनानन्द जी के बचपन का नेतराम  नाम था बाद में यह नाम आगे चलकर कृपाराम रख दिया गया |
प्रश्न-2 स्वामी दयानन्दजी के व्याख्यानों का कृपाराम पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-2 स्वामी दयानन्दजी के व्याख्यानों का कृपाराम पर बहुत गहरा  प्रभाव पड़ा | स्वामी दर्शनानन्द जी पहले तो अद्वैत वेदांती =अर्थात् ईश्वर जीव एवं प्रकृति को नहीं मानते थे  परन्तु बाद में वे ईश्वर,जीव और प्रकृति तीनों को मानने लगे |
प्रश्न-3 महर्षि दयानन्द जी निर्वाण होने पर स्वामी दर्शनानन्द जी नें क्या किया ?
उत्तर-3 महर्षि दयानन्द जी का निर्वाण होने पर स्वामी दर्शनानन्द जी नें  बहुत अच्छे अच्छे काम किये और उनमें से एक हैस्वामी दयानन्द जी द्वारा लिखित साहित्य छपवा कर जनता को मुफ्त में बांटा |
 प्रश्न-4  मुसलमानों और ईसाईयों से शास्त्रार्थ करनें की उन्हें बड़ी धुन थी इस बात का कैसे पता चलता है ?
उत्तर-4  मुसलमानों और ईसाईयों से शास्त्रार्थ करनें की उन्हें बड़ी धुन थी इस बात का पता   एक उदाहरण से पता चलता हैअपनी मृत्यु से छहः घन्टे पहले तक शास्त्रार्थ किये |
इन्होनें मरते समय भी  उस समय के विद्वान् पंडित ज्वालादत्त पादरी को पत्र लिखकर एक सन्देश  भिजवाया  कि- 
तुम्हें वैदिक धर्म पर यदि कोई शंका हो तो समाधान कर लीजिये | दर्शनानन्द जा रहा है फिर कहना |
प्रश्न-5 स्वामी दर्शनानन्द जी का साहित्य किस नाम से प्रकाशित हुआ है ?
उत्तर-5 स्वामी दर्शनानन्द जी का साहित्य दर्शनानन्द ग्रन्थसंग्रह नाम से प्रकाशित हुआ |

पाठ-14 ( आर्य पथिक पण्डित लेखराम )
प्रश्न-1 स्वामी दयानन्दजी के दर्शनों का पं. लेखराम पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-1 स्वामी दयानन्द जी के दर्शनों का पं. लेखराम पर बहुत गहरा  प्रभाव पड़ा | पण्डित जी नें स्वामी दयानन्द जी के दर्शन सबसे पहले अजमेर में किये थे| यहीं से पण्डित जी के जीवन में उथल-पुथल मच गई, उनकी वैदिक धर्म में आस्था दृढ हो गई वे सच्चे वैदिकधर्मी और  आर्य सिद्धांतों के प्रचारक-प्रसारक बन गए |
प्रश्न-2 अपने वेदांती मित्र दामोदरदास को सब कुछ ब्रह्म है इस तर्क का पंडित लेखराम जी नें कैसे उत्तर दिया ?
उत्तर-2  अजमेर में स्वामी जी दर्शन करने के बाद पंडित जी को वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार
करने की धुन सवार रहने लगी और एक दिन अपने पुराने मित्र दामोदरदास वेदांती के पास गए और पूछा ब्रह्म क्या है,ब्रह्म किसे कहते हैं ? मित्र ने उत्तर दिया कि- सब कुछ ब्रह्म है | “ इस तर्क का पंडित लेखराम जी ने  उत्तर दिया -“यदि सब कुछ ब्रह्म है तो ब्रह्म का ब्रह्म से माँगना कैसा ?
                                              पाठ-15 ( उद् घोष )
प्रश्न-1 दुनियाँ  का अन्धेरा दूर करनें के लिए हमें क्या करना होगा ?
उत्तर-1 दुनियाँ  का अन्धेरा दूर करनें के लिए हमें वेदों के ज्ञान का प्रकाश फैलाना होगा | सत्य का मार्ग अपनाना होगा | अज्ञानता रूपि अन्धकार दूर करना होगा |
 दुनियाँ में अन्धेरा फैला है  --------- शीघ्र मिटा देंगें |    ( पंक्तियाँ पूर्ण करें )
प्रश्न-2 पर्वत द्वारा रास्ता रोके जाने पर दयानन्द के सैनिक क्या करेंगे ?
उत्तर-2 पर्वत द्वारा रास्ता रोके जाने पर दयानन्द के सैनिक उसे ठोकर मार कर गिरा देंगें अर्थात् वैदिक धर्म के प्रचार के समय आने वाली विपत्तियों से अथवा कठिनाईयों का डट कर मुकाबला करेंगें  ?
यदि पर्वत आये रस्ते मे ----------दुनियाँ में धूम मचा देंगे “|   ( पंक्तियाँ पूर्ण करें )
प्रश्न-3 धर्म पर जान  लुटा देनें वालों में से कोई दो नाम बताओ ?
उत्तर-3 धर्म पर जान  लुटा देनें वालों में से दो नाम इस प्रकार हैं -  
1. स्वामी श्रद्धानन्द             
2. महात्मा हंसराजजी           
3. धर्मवीर हकीकत राय |


                                           
                                       
                                           

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